भारत मोटे अनाजों के उत्पादन और खपत में अपनी पुरानी स्थिति को फिर से प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रहा –पूर्व केंद्रीय जल शक्ति व सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री वर्तमान सांसद रतनलाल कटारिया

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दक्ष दर्पण समाचार सेवा

रायपुररानी/पंचकूला        नन्द सिंगला

पूर्व केंद्रीय जल शक्ति व सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री वर्तमान सांसद रतनलाल कटारिया ने कहा कि मोटे अनाजों के उत्पादन और खपत में भारत अपनी पुरानी स्थिति को फिर से प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रहा है भारत दुनिया में श्रीअन्न का सबसे ज्यादा पैदावार करता है l व्यापार कारोबार के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप बढ़ा रहा है l 

रतनलाल कटारिया ने कहा कि भारत अभी विश्व का पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक है प्रधानमंत्री मोदी जी के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जबसे 2023 को मिलेट वर्ष घोषित किया है, तभी से संपन्न देशों में भारत के श्रीअन्न की मांग बढ़ी हैं l 

रतनलाल कटारिया ने बताया कि अमेरिका, जापान, जर्मनी और सऊदी अरब जैसे देश भारत में उपजे श्रीअन्न के बड़े आयतक हैं l हाल ही दिल्ली में आयोजित विश्व सम्मेलन में जुटे सो से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भी भारत के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार किया है, उनका मानना है कि भारत मोटे अनाज का प्रमुख केंद्र है और यह वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम हो सकता है l चालू वित्तीय वर्ष 2022-2023 में अप्रैल से नवंबर के बीच सिर्फ 8 महीने के दौरान भारत ने कुल एक लाख चार हजार 146 टन श्रीअन्न का निर्यात किया जिसका मूल्य 365.85 करोड़ रुपए है l 

रतन लाल कटारिया ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी के नेतृत्व में हरियाणा में मोटे अनाजों की पैदावार को बढ़ावा देने के साथ जागरूक अभियान चलाकर मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा हैं l ताकि बच्चो में फैल रही बीमारियां जैसे कुपोषण,निमोनिया आदि से बचाया जा सके l

रतनलाल कटारिया ने बताया कि भारत की संस्कृति की तरह मोटे अनाज में भी विविधता है मुख्य रूप से सात तरीके से श्रीअन्न की खेती होती है जिसमें बाजरा, पर्ल मिलेट, फिंगर मिलेट, कंगनी, जुआर, कोदो प्रमुख हैं l श्रीअन्न उत्पादन के साथ इसकी खपत बढ़ाने पर भी है l इसलिए कि कुपोषण से लड़ने में श्रीअन्न बहुत कारागार है l

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