अशोक कुमार कौशिक
दक्ष दर्पण समाचार सेवा
नारनौल। हरियाणा कौशल विकास मिशन के तहत चल रहे नारनौल में दो सेन्टरों तथा गांव सेहलंग के एक सेन्टर
पर मुख्यमंत्री उड़नदस्ता रेवाड़ी, जिला शिक्षा अधिकारी तथा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य की संयुक्त टीम ने छापेमारी की। यह सेंटर हरियाणा कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के अवसर दिलाने के लिए खोले गए हैं। लेकिन इनमें रेड टीम को काफी अनियमितताएं मिली।
मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की टीम के साथ आए जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त व औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य विनोद कुमार के अनुसार नारनौल शहर में चल रहे दो ट्रेनिंग सेंटरों व गांव सेहलंग में एक सेन्टर पर छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान ट्रेनिंग सेंटर पर कुछ स्टाफ गैरहाजिर मिला व विद्यार्थियों की संख्या भी कम मिली।
100 से ज्यादा दाखिले दिखाएं, मौके पर कम बच्चे मिले
मुख्यमंत्री उड़नदस्ता के अनुसार केंद्र संचालकों द्वारा सरकार की योजनाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है ।निरीक्षण में पाया गया कि योजना के तहत शहर में चल रहे दो केंद्रों में 2 शिफ्टों में बच्चों का दाखिला किया गया है । सुबह की शिफ्ट में 120 बच्चों का दाखिला मिला लेकिन मौके पर 43 बच्चे ही पाए गए।
रिकॉर्ड में चार ट्रेनर में दिखाए गए हैं लेकिन मौके पर तीन ही मिले। सभी क्लासरूम व लैब में लगे सीसीटीवी कैमरे चालू मिले। दूसरी शिफ्ट में 120 बच्चों में से 42 बच्चे ही हाजिर मिले। इसके बाद टीम ने गांव सेहलंग में भी छापेमारी की। जहां भी काफी अनियमितताएं मिली विभाग को नारनौल के दोनों सैंटरो वह सेहलंग सेन्टर पर कार्रवाई करने के लिए लिखा गया है।
हरियाणा कौशल विकास मिशन में फर्जीवाड़े की परतें अब खुलने लगी हैं। कौशल के नाम पर प्रशिक्षण केंद्रों में केवल खानापूर्ति पूर्ति की जाती थी। मुख्यमंत्री उड़नदस्तों द्वारा प्रदेशभर के प्रशिक्षण केंद्रों पर छापे के बाद जांच में सामने आया है । काफी संख्या में प्रशिक्षण केंद्र संचालक गांवों की गरीब महिलाओं और जरूरतमंद विद्यार्थियों का इसके लिए इस्तेमाल करते थे।
उनको कोर्स के दौरान केवल परीक्षा के दिन सेंटर पर आने के लिए कहा जाता था और इसके बदले उनको 1000 रुपये दिए जाते थे। जबकि प्रति व्यक्ति एक कोर्स पूरा होने पर सरकार से 20 से 25 हजार रुपये के बिल पास कराते थे।
अधिकारियों, प्रशिक्षण केंद्र संचालकों की मिलीभगत से चल रहे इस खेल की रिपोर्ट हरियाणा सरकार को मिल चुकी है। अब मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की जांच का दायरा और बढ़ गया है। अब जिला स्तर पर तैनात जिला कौशल कोऑर्डिनेटरों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। क्योंकि प्रशिक्षण केंद्रों की फिजिकल वेरिफिकेशन से लेकर विद्यार्थियों की हाजिरी, स्टाफ की संख्या से लेकर केंद्र में पर्याप्त सुविधाओं को जांचना इनका कार्य है। लेकिन केंद्र संचालकों से हुई मिलीभगत के चलते फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है।
कोरोना के समय प्रशिक्षण केंद्रों में बायोमीट्रिक हाजिरी बंद कर दी गई, लेकिन कोरोना का चरम खत्म होने के बाद देशभर के अन्य प्रदेशों के केंद्रों में बायोमीट्रिक हाजिरी तो शुरू कर दी गई, लेकिन केंद्र के आदेश के बाद भी हरियाणा में केंद्रों में बायोमीट्रिक हाजिरी को लागू नहीं किया गया। इस समय केंद्रों में मैनुअली हाजिरी दिखाई जा रही थी और इसी के आधार पर बिल पास हो रहे थे। न तो जिला स्तर पर केंद्रों की कोई जांच होती थी और न ही मुख्यालय स्तर पर। जिला स्तर पर मिलीभगत के बाद बिलों को मुख्यालय भेजा था और यहां पर 10 प्रतिशत रिश्वत के साथ इनको पास कराया था।
35 केंद्रों पर मारे गए छापों में 6500 की बजाय मात्र 1200 प्रशिक्षणार्थी ही मिले, जबकि प्रदेश में इस समय 200 से अधिक प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि अगर और केंद्रों की जांच की जाए तो यह फर्जीवाड़ा और बड़े स्तर का निकल सकता है। उधर, मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के एक अधिकारी ने बताया कि जांच का दायरा बढ़ाया है, गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ शिकंजा कसा जाएगा।
बायोमीट्रिक हाजिरी नहीं, इसलिए चल रहा था फर्जीवाड़ा
कोरोना के समय प्रशिक्षण केंद्रों में बायोमीट्रिक हाजिरी बंद कर दी गई, लेकिन कोरोना का चरम खत्म होने के बाद देशभर के अन्य प्रदेशों के केंद्रों में बायोमीट्रिक हाजिरी तो शुरू कर दी गई, लेकिन केंद्र के आदेश के बाद भी हरियाणा में केंद्रों में बायोमीट्रिक हाजिरी को लागू नहीं किया गया। इस समय केंद्रों में मैनुअली हाजिरी दिखाई जा रही थी और इसी के आधार पर बिल पास हो रहे थे। न तो जिला स्तर पर केंद्रों की कोई जांच होती थी और न ही मुख्यालय स्तर पर। जिला स्तर पर मिलीभगत के बाद बिलों को मुख्यालय भेजा था और यहां पर 10 प्रतिशत रिश्वत के साथ इनको पास कराया था।