जमानत होने के बावजूद पुलिस ने दोबारा किया अरेस्ट,कालका कोर्ट ने अरेस्ट को अवैध करार कर लिया रिलीज ।आरोपी प्रवेश की तरफ से दीपांशु बंसल एडवोकेट ने रखा पक्ष, उपमंडल न्यायाधीश अभिमन्यु राजपूत की अदालत ने लिया संज्ञान।पुलिस उपायुक्त ने आरोपी के वकील दीपांशु बंसल एडवोकेट को कहा,सेशन कोर्ट में बेल को चैलेंज करने के बाद किया अरेस्ट,कोर्ट में आईओ ने स्टेटमेंट देकर कहा बेल ऑर्डर को कभी चैलेंज नहीं किया।आरोपी के साथ अवैध कस्टडी के दौरान पुलिस ने की मारपीट,रिमांड के दौरान आरोपी ने कोर्ट को बताई आपबीती। एसडीजेएम कोर्ट कालका श्री अभिमन्यु राजपूत की कोर्ट ने लिया तुरंत संज्ञान,आरोपी को किया तुरंत रिलीज।
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दक्ष दर्पण समाचार सेवा
कालका 17 जुलाई 2025) जैसा फिल्मों में पुलिस की गुंडागर्दी देखी जाती रही है,वैसा ही एक वाक्य पिंजौर पुलिस ने दोहराकर राजनीतिक दबाव में तानाशाही दिखाई है। मामला पिंजौर का है,जहां एक मुकदमा में आरोपी प्रवेश शर्मा को पिंजौर पुलिस ने 26 जून को हिरासत में लिया था, और 27 जून को जब कोर्ट में पेश किया तो 2 दिन का पुलिस रिमांड मांगा गया,जबकि उस समय आरोपी के वकील दीपांशु बंसल एडवोकेट ने आरोपी की तरफ से पक्ष रखा और कोर्ट ने पुलिस रिमांड को रिजेक्ट करते हुए आरोपी को रेगुलर बेल दे दी और मामला 27 अगस्त के लिए स्थगित कर दिया। इसी बीच पुलिस ने 15 जुलाई को आरोपी को मुकदमा में कोर्ट के बेल ऑर्डर की कंडीशन का पालन करते हुए उसी दिन 5 बजे शामिल होने हेतु नोटिस दिया जबकि,आरोपी 2.30 बजे ही पुलिस थाना पहुंच गया।
ज़मानत मिलने के बाद दिनांक 15 जुलाई 2025 को पिंजौर पुलिस ने आरोपी को दोबारा थाने में बुलाया और आरोपी को थाने में न सिर्फ़ 24 घंटे से अधिक अवैध हिरासत में रखा बल्कि वो उसको किसी अन्य स्थान पर ले जाकर और थाने के अंदर बुरी तरह से मारा पीटा और प्रताड़ना दी गई।
दीपांशु बंसल एडवोकेट ने माननीय न्यायालय के समक्ष आरोपी की ओर से पक्ष रखते हुए बताया कि इस पूरे मामले में न केवल इन्वेस्टिंग ऑफिसर यादविन्द्र सिंह ने कानून और नियमों को ताक पर रखकर माननीय न्यायालय के आदेशों की अवेहलना की बल्कि थाना प्रमुख जगदीश चंद्र, और पुलिस उपायुक्त सृष्टि गुप्ता ने भी कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करते हुए एक 18 वर्षीय युवा प्रवेश शर्मा के अधिकारों का हनन किया। दीपांशु बंसल ने कोर्ट में दायर याचिका में बताया कि उन्होंने जब यह मामला पुलिस उपायुक्त सृष्टि गुप्ता को बताया तो डीसीपी ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है,कालका कोर्ट का बेल ऑर्डर सेशन कोर्ट में पुलिस ने चैलेंज किया है और परमिशन ली गई है जबकि उक्त ऑर्डर के बारे जब पूछा तो डीसीपी ने कोई जवाब न दिया और फोन काट दिया। यहां तक कि आरोपी के साथ मारपीट के बारे में भी बताया गया तब भी डीसीपी ने कोई जवाब नहीं दिया।
दीपांशु बंसल एडवोकेट द्वारा माननीय न्यायालय कालका में याचिका दायर की गई जिसपर कोर्ट ने संज्ञान लिया और इसके साथ ही आईओ को कोर्ट में तलब किया जहां आईओ ने कोर्ट में बयान दिया कि बेल ऑर्डर को किसी कोर्ट में चैलेंज नहीं किया गया है। इसके साथ ही यह भी बताया कि आरोपी को इस केस में जांच के दौरान हिरासत में लिया जबकि कोर्ट में पुलिस द्वारा अरेस्ट करने के बावजूद पुनः अरेस्ट करने की आज्ञा की एप्लिकेशन डाली गई जिसे सरकारी वकील श्री रणविजय राणा ने कोर्ट को फॉरवर्ड करने से मना किया और कोर्ट में कहा कि वह पुलिस के इस कृत्य का बचाव नहीं करेंगे।
कोर्ट में आरोपी ने बयान दिया कि उसके साथ पुलिस ने बर्बरता के साथ मारपीट की,धमकी दी,पानी में डुबाया और पैरो में डंडे मारे जिसपर माननीय न्यायालय ने तुरंत संज्ञान लिया और सीएमओ पंचकुला को 3 डॉक्टर का बोर्ड गठित कर मेडिकल करने के लिए कहा जिसके साथ ही आरोपी का अरेस्ट इलीगल माना क्योंकि पुलिस ने बेल ऑर्डर होने के बावजूद आरोपी को पुनः अरेस्ट किया जोकि नियमों के विरुद्ध है।इसके साथ ही कोर्ट में पेश आरोपी ने जब अपने पैर दिखाई तो उसपर सूजन दिखी और मेडिकल में भी 4 चोटें दर्शाई गई।
इस पूरे मामले में पुलिस अधिकारियों की तानशाही पर दीपांशु बंसल एडवोकेट ने आरोपी की ओर से मजबूती से पक्ष रखा और माननीय उपमंडल न्यायधीश कालका श्री अभिमन्यु राजपूत की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पुलिस के कृत्य पर अंकुश लगाया और आरोपी को तुरंत रिलीज किया।इतना ही नहीं, माननीय अदालत ने 18 जुलाई के लिए मामले को स्थगित करते हुए मेडिकल रिपोर्ट मंगाई और कस्टोडियल वायलेंस समेत आगामी कार्यवाही के लिए केस की तिथि निश्चित की।
यह विषय श्री दीपांशु बंसल एडवोकेट ने 16 जुलाई 2025 को मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में भी दिया जिसमें श्री दीप भाटिया ने संज्ञान लेते हुए पंचकूला के कमिश्नर से अवैध हिरासत जाँच हेतु रिपोर्ट माँगी है और वह जाँच किसी वरिष्ठ अधिकारी से करवाने के लिए भी कहा है और CCTV फ़ुटेज को सुरक्षित करने का आदेश भी जारी किया है।
आरोपी प्रवेश शर्मा,उनके पिता रामदत्त शर्मा ने बताया कि उनके साथ पुलिस ने बर्बरता की है जिसकी सजा दोषी अधिकारियों को मिलनी चाहिए।उन्होंने यह तक कहा कि वह एक आम परिवार से है,और पुलिस राजनीतिक दबाव में उनके साथ बर्बरता कर रहीं है।कोर्ट से बेल होने के बावजूद प्रवेश को अरेस्ट किया और मारपीट की,पुलिस उपायुक्त तक ने उनके वकील को झूठी सूचना दी जबकि कोर्ट में पुलिस उनकी बात का कोई जवाब भी नहीं दे पाई जिसपर माननीय न्यायालय ने संज्ञान लिया।उन्होंने माननीय न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और आभार प्रकट किया।
