नौ दिन में बारह को काटा सांप ने, 10 से 12 सांप रोजाना पकड़े जा रहे घरों से।

दक्ष दर्पण समाचार सेवा
कुरुक्षेत्र(वैष्णवी) : जिले में हर रोज एक से दो लोगों को सांप काट रहे हैं। अकेले जिला मुख्यालय स्थित लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल में पिछले नौ दिनो में बारह मरीज सांप काटने के बाद अपना इलाज करवाने पहुंचे हैं। निजी अस्पतालों को मिलाकर इनकी संख्या कहीं ज्यादा है।वहीं स्नेकमैन गुलशन के मुताबिक वह हर रोज 10 से 12 सांपों को जनसंख्या वाले क्षेत्रों से पकड़ रहे हैं। इनमें कामनक्रेट की संख्या सबसे ज्यादा है। सबसे डराने वाली बात तो यह है कि बेड पर सोने वाले लोग भी इससे बच नहीं पा रहे, क्योंकि यह सांप बेड पर सोते हुए पर ही हमला करता है। बहुत बार तो नींद में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसलिए विशेषज्ञ ने सलाह दी है कि अपने घर के दरवाजों के नीचे बची (बिरल) जगह पर रात को सोते हुए कपड़ा फंसाकर सोएं।
सांप काटने के यह मामले आए एलएनजेपी अस्पताल में
तारीख मरीज उम्र निवासी
04 जुलाई चंदावती 38 साल ढांड
05 जुलाई मनीष नौ साल दूधला
06 जुलाई रामवीर 50 साल सूढ़पुर
06 जुलाई मुकेश 21 साल झांसा
06 जुलाई कर्मवीर 48 साल अंटहेड़ी
07 जुलाई शिवानी 25 साल ज्योतिसर
8 जुलाई रोहतास 32 साल गांव कसीथल
9 जुलाई हसनैन 25 साल सीकरी नीलोखेड़ी (जिला करनाल)
9 जुलाई सलाउद्दीन 30 साल बंदरिया( बिहार)
9 जुलाई अमित 16 साल किशनगंज(बिहार)
10 जुलाई विकास 20 साल कटोरी गांव-मुजफ्फरनगर(उत्तर प्रदेश)
10 जुलाई महेंद्र 50 साल बिहार
खेतों में पानी छोड़ते हुए काटा सांप-
अंटहेड़ी निवासी 45 वर्षीय कर्मवीर ने बताया कि वह सुबह खेतों में पानी छोड़ने के लिए गए थे। उसी समय अचानक उनके पैर पर कुछ काटा। अंधेरे में मोबाइल की टार्च चलाकर देखा तो नजदीक से सांप जा रहा था। उन्होंने बिना किसी देरी के स्वजनों को फोन किया और अस्पताल पहुंचे। अब वह स्वस्थ हैं। ढांड निवासी चंदावती बोली की यह चार जुलाई रात 12 या एक बजे की बात है। जब उसे कुछ काटने का अहसास हुआ। वह तुरंत खड़ी हो गई और उसने लाइट चलाकर देखी तो सांप जा रहा था। उसने तुरंत अपने पति को उठाया। वह बिना किसी देरी के एलएनजेपी अस्पताल पहुंच गए।
झाड़ फूंक के चक्कर में नहीं, तुरंत करवाएं इलाज शुरू
एलएनजेपी अस्पताल के फिजिशियन डा. शैलेंद्र ममगाईं शैली ने बताया कि अगर सांप काटता है तो झाड़ फूंक के चक्कर में बिल्कुल ना पड़ें, बल्कि बिना देरी नजदीक के अस्पताल में पहुंचे। इसकी वजह है कि पहले 24 घंटे मरीज के लिए सबसे नाजुक होते हैं। अगर इन 24 घंटों में मरीज ठीक रहता है तो यह मान लिया जाता है कि मरीज को जहरीला सांप नहीं काटा। मगर उसका इलाज अस्पताल में आते ही लक्षणों पर किया जाता है।
सांप के काटने पर तुरंत करें यह काम
-सांप काटने पर तबीयत बिगड़ने का इंतजार नहीं करें बल्कि इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए मरीज को अस्पताल ले जाएं।
-जिस जगह सांप ने काटा है उस स्थान को बिल्कुल नहीं हिलाएं।
-ब्लीडिंग होने पर खून को बहने दें। खून रोकने के लिए बीटाडीन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
-पीड़ित व्यक्ति को शांत रखें।
-घाव को ढीली और साफ पट्टी से कवर करें।
डा. शैली की सलाह : इन बातों का रखें ख्याल :
-सांप काटने वाले स्थान पर लोग ब्लेड से काट देते हैं, ताकि जहर ऊपर न जाए, लेकिन यह गलत है। इससे मरीज की जान को सांप के जहर से खतरा हो या ना हो लेकिन ज्यादा रक्त बहने से मरीज की जान को खतरा जरूर बढ़ सकता है। सांप काटने वाले स्थान से थोड़ा ऊपर उस अंग को स्वजन जोर से बांध देते हैं ताकि खून का दौरा ऊपर ना जा सके। उस अंग को बांध सकते हैं लेकिन इतना जोर कर बांधे कि बंधन में दो अंगुली प्रवेश कर सकें।
एंटी स्नेकवेनम पर्याप्त मात्रा में है अस्पताल में उपलब्ध : डा.ममगाईं
सर्पदंश से पीड़ितो का इलाज कर रहे पूर्व सिविल सर्जन एवं फिजिशियन डा. शैलेंद्र ममगाईं शैली ने बताया कि एलएनजेपी अस्पताल में सांप से बचाव के लिए एंटी स्नेक वेनम के इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। सांप काटने की स्थिति में बिना देरी के नजदीक के अस्पताल में मरीज को लेकर जाएं और उपचार शुरू करवाएं। बहुत से सांप जहरीले नहीं होते, लेकिन 24 घंटे मरीज के लिए नाजुक होते हैं उस समय मरीज चिकित्सक की निगरानी में रहना चाहिए।
10 से 12 सांप प्रतिदिन जनसंख्या वाले क्षेत्रों से पकड़ रहे
स्नेक मैन गुलशन कुमार ने बताया कि प्रतिदिन 10 से 12 सांप जनसंख्या वाले क्षेत्रों से पकड़ रहा हूं। अपने क्षेत्र में सबसे ज्यादा कामन क्रेट सांप मिलता है और यह सबसे ज्यादा खतरनाक भी है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मिलने वाला कोबरा सांप है। यह नाम की तरह ही खतरनाक है। तीसरे नंबर पर रेट स्नेक है। सांप जमीन के नीचे बिल में रहने वाला जीव है। वर्षा के दिनों में बिल में पानी चला जाता है। इस वजह से यह बाहर निकल आते हैं। अभी 10 दिन पहले पिपली में एक बच्ची को सोते हुए कामन क्रेट काट गया था। पहले वह झाड़ फूंक के चक्कर में पड़े रहे, लेकिन जैसे ही उनके पास फोन आया तुरंत बच्ची को अस्पताल में ले जाने की सलाह दी गई थी। वह बच्ची चार दिन तक वेंटिलेटर पर रही अब वह स्वस्थ होकर वापस लौट आई है
