दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com। चंडीगढ़
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राम अवतार शर्मा ने शिक्षा मंत्री और बोर्ड चेयरमैन का जताया आभार
.निर्णय वापिस लेने के लिए उन्होंने बोर्ड चेयरमैन और शिक्षा मंत्री जी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि उन्होंने हमारी मांग को सकारात्मक लेते हुए इस निर्णय को वापिस लिया। ये प्राइवेट स्कूल संचालकों और अभिभावकों के लिए राहत भरा कदम है।
ज्ञात हो कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी ने हाल ही में एक फरमान जारी कर प्रदेश के स्कूलों को निर्देश दिया है कि दसवीं और बाहरवीं कक्षाओं में दाखिला लेने से पहले बोर्ड से परमिशन ली जाये। साथ ही, बोर्ड ने कहा था कि इसके लिए अभिभावकों को एक से तीन हज़ार रूपए की फीस भी बोर्ड को देनी होगी। बोर्ड के इस फैसले को लेकर पूरे प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों और अभिभावकों में रोष था। प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष रामअवतार शर्मा ने एसोसिएशन की तरफ से इस फैसले का विरोध किया था। उन्होंने बोर्ड चेयरमैन और हरियाणा के शिक्षा मंत्री को ज्ञापन दे इसे रद्द करने का अनुरोध किया था। बोर्ड का निर्णय वापिस होने के बाद, राम अवतार शर्मा ने कहा कि बोर्ड के इस फैसले के विरोध में उनके पास पूरे हरियाणा से अभिभावकों और स्कूल संचालकों के मैसेज आये थे। इस फैसले से अभिभावकों पर बिना कारण तीन हज़ार रूपए भरने पड़ते। उन्होंने कहा मैंने बोर्ड चेयरमैन और शिक्षा मंत्री जी को बताया था कि हरियाणा बोर्ड के संबद्ध स्कूलों में गरीब और साधारण परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं और इन स्कूलों की फीस भी बहुत कम होती है। ऐसे में बोर्ड का ये फैसला न सिर्फ छात्र विरोधी बल्कि अभिभावक विरोधी भी है। उन्होंने कहा कि नौवीं और ग्यारहवीं के बाद अभिभावक सिर्फ मज़बूरी में ही स्कूल बदलते हैं। इस फैसले से तो बोर्ड एक तरह से उन अभिभावकों की मज़बूरी का फायदा उठा रहा था। ये सरासर गलत निर्णय था। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि एसोसिएशन किसी भी कीमत पर अभिभावकों पर ये अतिरिक्त भार नहीं पड़ने देगी। राम अवतार शर्मा ने कहा कि मैंने खुद शिक्षा मंत्री जी से बात कर उन्हें मामले से अवगत करवाया था और ये निर्णय रद्द करने का अनुरोध किया था।