
@ दक्ष दर्पण
चण्डीगढ़। हरियाणा में लोकल बॉडीज चुनाव में एक बार फिर सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसकी चिर प्रतिद्वंदी कांग्रेस के बीच मुकाबले देखने को मिल रहे हैं ।कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपनी जोर आजमाइश में जुट गई है। कुछ जगह कांग्रेस के उम्मीदवार अच्छी फाइट देते दिख रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर इस चुनाव में कई लाभ एक साथ होते नजर आ रहे हैं। उसे और उसके उम्मीदवारों को प्रदेश में और देश में भाजपा की सरकार होने का लाभ तो मिल ही रहा है, हाल में दिल्ली की शानदार जीत से पार्टी के कार्य कर्ता और प्रत्याशी उत्साह से लबरेज हैं। इसके अलावा एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने टिकट वितरण के मामले में कई जगह एक पुराना फॉर्मूला अप्लाई करने की कोशिश की है । यह फार्मूला भी भाजपा के काम आ सकता है। विशेषज्ञ यह मानकर चल रहे हैं कि चेयरमैन और मेयर के चुनाव में कुछ जगह रोचक मुकाबले देखने को मिल रहे हैं लेकिन जनता ही नहीं मतदाताओं को भी ऐसा लग रहा है कि बीजेपी आखिरी ओवरों में धुआंधार बल्लेबाजी करके जीत हासिल करने वाली है। यह बीजेपी का कॉन्फिडेंस ही है कि उसने हारे हुए उम्मीदवारों को भी टिकट देकर जीत हासिल करने का रास्ता निकालने की व्यवहारिक व्यवस्था कर ली है। ऐसे भी हैं जो विधानसभा में टिकट मांगते थे मिली नहीं अब मिल गई। कुछ चुनाव हार गए थ थे पार्टी ने उन्हें फिर मौका दे दिया है। लेडीज कैंडिडेट फैक्टर भी भाजपा के काम आ सकता है।
हरियाणा में जब यमुनानगर पानीपत हिसार करनाल और रोहतक में पांच नगर निगमों के मेयर्स के चुनाव हुए तो भाजपा के 5 के 5 मेयर उम्मीदवार जीते थे। फॉर्मूला यह था कि जहां भाजपा का पंजाबी विधायक था वहां बनिए को टिकट दी गई थी और एक मेयर उम्मीदवार पिछड़ा वर्ग से, एक सिक्ख उम्मीदवार व्यवहारिक रणनीति के तहत मैदान में उतारा गया था। उस समय यह कास्ट कांबिनेशन भी भाजपा के काम आया । उदाहरण के तौर पर हिसार में उस समय कमल गुप्ता विधायक थे जबकि टिकट पंजाबी उम्मीदवार गौतम सरदाना को दी गई थी। रोहतक में पंजाबी विधायक के रूप में मनीष ग्रोवर थे तो टिकट मेयर उम्मीदवार के रूप में एक अग्रवाल मनमोहन गोयल पर दाव खेला गया था। करनाल में पंजाबी के रूप में मनोहर लाल विधायक थे तो मेयर की टिकट रेनू बाला गुप्ता को दे दी थी। उन्हें पार्टी ने एक बार फिर रिपीट कर दिया दिय है। विधायक यहां अब भी पंजाबी ही है ।
पिछले चुनाव में यमुनानगर में पार्टी ने पंजाबी विधायक की होते पिछड़े वर्ग के मदन चौहान को उम्मीदवार बनाया ।इसी तरह पानीपत में पंजाबी विधायक प्रमोद विज के होते सिख समुदाय की अवनीत कौर को मेयर प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा ।इसमें प्रैक्टिकल बात यह रही कि विधायक ने अपने समुदाय को काबू किया और उम्मीदवार ने अपने समुदाय को । एक और एक 11 वाली बात तो बनी ही इसे आप सोशल इंजीनियरिंग भी कह सकते हैं ।हम बता चुके हैं कि पिछले चुनाव में पांच के पांच मेयर भाजपा के बने थे। कुछ जगह बीजेपी ने यही फार्मूला फिर से अप्लाई किया है सोनीपत में भाजपा का पंजाबी विधायक है तो अग्रवाल मतलब बनिए के रूप में राजीव जैन को उम्मीदवार बना दिया। राजीव जैन की पत्नी की विधानसभा में टिकट कट गई थी तो मेयर टिकट उनके लिए मरहम का काम भी कर सकती है। अग्रवाल समाज के मतदाता उम्मीदवार के कारण भाजपा को वोट देंगे और विधायक पंजाबी मतदाताओं की वोट भाजपा उम्मीदवार को डलवा कर अपना प्रभाव साबित करने की कोशिश करेंगे। भाजपा ने यहां भी इसी फार्मूले को मन मस्तिष्क में रखा है। सोनीपत में प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली की प्रतिष्ठा भी उम्मीदवार की जीत से जुड़ी हुई है ।सोनीपत की बात करें तो यहां आम आदमी पार्टी ने पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार के रूप में डॉक्टर कमलेश सैनी को मैदान में उतारा है फिलहाल वह भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाते नजर आ सकते हैं लेकिन अंत में मुख्यमंत्री नायब सैनी आप के इस उम्मीदवार के वोट बैंक को निर्णायक डेंट करने से नहीं चूकेंगे। लेकिन आज यहां रोचक मुकाबला नजर आ रहा है।
इसका कारण यह है कि पंजाबी मतदाता जो निर्णायक है वह फिलहाल कांग्रेस के उम्मीदवार की बात करता दिख रहा है परंतु परिस्थितियां चुनाव के आखिर तक बड़ी तेजी से बदलने वाली है, ऐसा सभी विशेषज्ञ मानकर चल रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी गुरुग्राम में आरंभ में गुटबाजी की शिकार दिख रही थी लेकिन यहां भाजपा ने स्थिति को संभाल लिया है और टिकटों के मामले में राव इंद्रजीत सिंह को जो अधिमान दिया है उसे इसी बात का लाभ मिलने वाला है ।कांग्रेस में न केवल तालमेल में कमी दिख रही है बल्कि टिकटों का बंटवारे में भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। यहां भी अल्टीमेटली भारतीय जनता पार्टी को पार्टी उम्मीदवार की स्वच्छ छवि का लाभ भी मिल रहा है । लोग इस बात को मान चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लोग चुनाव लड़ना जानते हैं। वह शाम दाम दंड भेद सारे फार्मूले अप्लाई कर लेते हैं । जानकार यहां भी यही मानकर चल रहे हैं कि गुरुग्राम और मानेसर दोनों नगर निगमों में भाजपा के ही मेयर बनने के आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं। पानीपत करनाल और यमुनानगर में भाजपा के उम्मीदवारों को कई ऐसे लाभ मिल रहे हैं कि विरोधी भी एक लाइन का अंदाज और अनुमान प्रस्तुत कर आगे निकल जाते हैं कि, भाजपा ही जीतेगी। देखा जाए तो भाजपा इस स्थिति में भी नजर आ रही है कि विधानसभा के चुनाव में जहां भाजपा के उम्मीदवार नहीं जीत पाए वहां नगर निगम या नगर पालिका ,नगर परिषद के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार जीत के झंडे गाड़ने में सफल हो सकते है। कुछ लोग तो भाजपा की टिकट को ही जीत की गारंटी मानकर चल रहे हैं। जहां तक पार्षदों का सवाल है वहां अलग-अलग जगह कुछ बीजेपी उम्मीदवार हार सकते हैं वह भी व्यक्तिगत कारणों से। लेकिन इन में भी कांग्रेस की तुलना में कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को लाभ हो सकता है। पड़ताल की बात करें तो कुल मिलाकर लोकल बॉडीज के इन चुनाव में भी भाजपा का पलड़ा ही भारी रहने के आसार दिख रहे हैं। ज्यों ज्यों मतदान का दिन नजदीक आएगा, भाजपा को लाभ होता नजर आने लगे तो समझना जीत निश्चित है।

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