
रेनू गौड़
दक्ष दर्पण
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को प्रेस क्लब में प्रोग्रेसिव लायर्स एसोसिएशन के द्वारा एक गोष्ठी का आयोजन महिला अधिवक्ता मधुलिका यादव और पूर्व उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश बार कौंसिल एंव अन्य अधिवक्ताओ के द्वारा किया गया।
अधिवक्ता मधुलिका यादव ने प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों को बताया कि केन्द्र सरकार के द्वारा अधिवक्ता एक्ट में संशोधन के लिए अधिवक्ता बिल 2025 लाया गया है। इस बिल का संपूर्ण भारत के अधिवक्तागण विरोध कर रहे है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपने चहेते तीन सदस्यो को राज्य बार काउंसिल में नामित करना चाहती है जो अधिवक्ताओ को स्वीकार्य नही है। राज्य बार काउंसिल के एक्सटेंशन की अवधि जो छः माह थी बढाकर 18 महीने कर दी गई है। वह छः माह ही रहनी चाहिए। स्पेशल कमेटी जो बार काउंसिल का कार्यकाल समाप्त होने पर टेक ओवर करेगी का कार्यकाल अनिश्चित काल कर दिया गया है। यह किसी भी दशा में छः माह से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा सरकार अधिवक्ता संशोधन बिल लाकर अधिवक्ताओ को बेड़ियों मे जकड़ने का प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार देश के अधिवक्ताओ की आज़ादी छीन कर कॉर्पोरेट प्रणाली और विदेशी अधिवक्ताओ को प्रोत्साहन देना चाहती है जिससे जितने भी सरकार के घोटाले है उनपर पर्दा पड़ा रहे। उन्होंने कहा इस बिल के ज़रिये सरकार अधिवक्ताओ का दमन करना चाहती है जो अलोकतांतरिक है जिसको अधिवक्ता किसी भी सूरत मे स्वीकार्य नही है। सरकार जब तक यह बिल वापस नही लेती है तब तक पूरे देश के अधिवक्ता आंदोलन करते रहेंगे और न्यायलय मे कार्य स्थगन रहेगा।
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