
दक्ष दर्पण समाचार सेवा
चण्डीगढ़।पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने परवीन उर्फ पिन्नी को नियमित जमानत प्रदान करते हुए पुलिस की भूमिका पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। माननीय उच्च न्यायालय की अध्यक्षता में सुनवाई हुई, जिसमें परवीन उर्फ पिन्नी की गिरफ्तारी और पुलिस की जांच प्रक्रिया पर कई गंभीर खामियां सामने आईं।
परवीन उर्फ पिन्नी को 3 अगस्त 2024 को पुलिस ने कथित रूप से नशीले पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया था। हालांकि, बचाव पक्ष ने अदालत के समक्ष ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिनमें सीसीटीवी फुटेज और फोटोग्राफ शामिल थे, जिससे यह साबित होता है कि उन्हें 2 अगस्त 2024 को ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और बाद में फर्जी गिरफ्तारी दिखाकर झूठा मुकदमा दर्ज किया गया।
परवीन उर्फ पिन्नी के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें जबरन फंसाया क्योंकि उन्होंने हाल ही में अपनी संपत्ति बेची थी, जिसकी जानकारी एक पुलिस अधिकारी एएसआई नरेश को थी। न्यायालय ने इस तथ्य को भी संज्ञान में लिया कि जिस स्वतंत्र गवाह रोहित को मामले में पेश किया गया, वह वास्तव में पुलिस विभाग में अनुबंधित कर्मचारी था और यह तथ्य पुलिस ने छुपाया।
न्यायालय ने माना कि इस मामले में कई विवादास्पद बिंदु हैं, जिनकी सुनवाई में समय लगेगा, और तब तक परवीन उर्फ पिन्नी को न्यायिक हिरासत में रखना उचित नहीं है। इसी आधार पर उन्हें जमानत दी गई।
एडवोकेट विशाल कौशिक व एडवोकेट अभिजीत शर्मा का बयान
” हम माननीय उच्च न्यायालय का धन्यवाद करते है, जिन्होंने हमारी दलीलों को सुनते हुए” परवीन उर्फ पिन्नी के हक में फैसला सुनाते हुए जमानत याचिका को स्वीकार किया।”
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