मोदी हटाओ देश बचाओ वाले पोस्टर लगाने पर पुलिस ने त्रिलोचन सिंह सहित सैकड़ों कांग्रेसियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया।
डीपी वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com
चंडीगढ़।
पिछले दिनों हमने अपनी राजनीतिक समीक्षा में , 46 हलकों में कमजोर , फिर भी कांग्रेस जीत की ओर शीर्षक से एक आलेख प्रकाशित किया था जिसमें बताया गया था कि कांग्रेस के पास 40 हलकों में जीत में सक्षम उम्मीदवारों की कमी है। इनमें करनाल विधानसभा क्षेत्र का भी जिक्र था।
कभी करनाल कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था परंतु अब इसे भाजपा अपने मजबूत किले के रूप में देख कर चलती है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल 2014 से करनाल से ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं। करनाल में कांग्रेस की स्थिति पर गौर करें तो हम पाएंगे कि पार्टी के कई पुराने उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। कई उम्मीदवार अपनी राजनीतिक चमक खो चुके हैं।2019 के चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन सरदार त्रिलोचन सिंह को मैदान में उतारा था और वह 36000 वोट बटोरने में सफल हो पाए थे ।यह स्थिति तब थी जब कांग्रेस के ही लोग उन्हें कमजोर उम्मीदवार बताते हुए 4000 से ज्यादा वोट नहीं आने का दावा करते थे।
अब स्थितियां बदल चुकी हैं और इस विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक सोच रखने वाले अग्रणी नागरिकों का यह मानना है कि करनाल में कांग्रेस के पास त्रिलोचन सिंह से मजबूत कोई उम्मीदवार नहीं है। करनाल की जानकारी रखने वाले बहुत लोगों से मंत्रणा के बाद हमारा भी यही मानना है कि करनाल विधानसभा क्षेत्र में त्रिलोचन सिंह कांग्रेस के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हैं। बेशक मनोहर लाल अभी करनाल का प्रतिनिधित्व ही कर रहे हैं लेकिन यह भी सत्य है कि चुनाव लड़ने के मामले में उनकी शुरू से प्राथमिकता गुरुग्राम रहा है। 2019 में भी उनकी कोशिश करनाल की बजाए गुरुग्राम से चुनाव लड़ने की थी परंतु हाईकमान ने इसकी स्वीकृति नहीं दी। ऐसे में जरूरी नहीं है कि मुख्यमंत्री इस बार भी करनाल से ही चुनाव लड़े। उनकी कोशिश इस बार भी गुरुग्राम जाकर चुनाव लड़ने की हो सकती है।कुल मिलाकर दोनों स्थितियों में कांग्रेस यदि अभी से त्रिलोचन सिंह को भावी उम्मीदवार के रूप में स्वीकार और प्रोजेक्ट करके चलेगी तो इसका निश्चित तौर पर लाभ होगा।
सरदार त्रिलोचन सिंह ने 1982 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में करनाल से नामांकन पत्र दाखिल किया था परंतु अंतिम क्षणों में उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देते हुए अपना नाम वापस ले लिया था। इस समय श्री सिंह पूरे जोर-शोर और समर्पण से अपनी राजनीतिक सरगर्मियां और गतिविधियां चला रहे हैं। वह पिछले काफी समय से सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन करने के मामले में आक्रमक तरीके से काम करने में लगे हुए हैं।
पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस पार्टी के मोदी हटाओ पोस्टर अभियान के तहत शहर में पोस्टर चिपकाने का काम अपने समर्थकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ आक्रामक तरीके से उठाया तो उन्हें सैकड़ों साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था । उन्हें और उनके साथियों को बाद में जमानत पर रिहा किया गया।
करनाल में चोरी की वारदातें बढ़ने के बाद जन भावनाओं को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाने के लिए त्रिलोचन सिंह ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जिला सचिवालय के बाहर इन गगनभेदी नारों के साथ जोरदार प्रदर्शन किया कि,सोई हुई सरकार है,चोरों की भरमार है। यह प्रदर्शन मीडिया में कई दिन चर्चा का विषय बना रहा।
त्रिलोचन सिंह ने इससे पहले विभिन्न मुद्दों पर सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने का अपना अभियान जारी रखा है और उनकी राजनीतिक सक्रियता करनाल क्षेत्र के कोने कोने में महसूस की जा रही है। करनाल कांग्रेस के संयोजक सरदार त्रिलोचन सिंह पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नजरों में भी एक काबिल नेता माने जाते हैं।
स त्रिलोचन सिंह जहां सिक्खों और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करते हैं वही वे ब्राह्मणों के भी प्रतिनिधि हैं । वे प्रतिष्ठित दत्त परिवार से ताल्लुक रखते हैं। सकारात्मक सोच के श्री त्रिलोचन सिंह कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं और करनाल के प्रतिष्ठित गुरु हरी कृष्ण पब्लिक स्कूल के चेयरमैन हैं। कांग्रेस विचारधारा के ही नहीं , आरएसएस के विरोधी करनाल विधानसभा क्षेत्र वासी बहुत लोग एक स्वर में यह बात करते देखे जा सकते हैं कि करनाल में कांग्रेस को एक बार फिर उम्मीदवार बनाए जाने के मामले में त्रिलोचन सिंह पर ही दाव खेलना चाहिए और उन्हें अभी से एक तरह से उम्मीदवार घोषित कर कर देना चाहिए ।जहां तक कांग्रेस का सवाल है त्रिलोचन सिंह सबसे ज्यादा
स्वीकार्य उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे हैं।
हरियाणा अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन तथा जिला करनाल कांग्रेस के संयोजक सरदार त्रिलोचन सिंह।
सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ करनाल में विरोध प्रदर्शन करने का बीड़ा त्रिलोचन सिंह ही उठाते हैं।