सढौरा में बृजपाल की जीत पर नजर, हुड्डा का हाथ छोड़ चढ़ गए हाथी पर।

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धर्मपाल वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा ।
चण्डीगढ़ dakshdarpan2024@gmail.com
अंबाला लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा क्षेत्रों में से चार में कांग्रेस के विधायक हैं। यह विधानसभा क्षेत्र हैं कालका, नारायणगढ़, सढौरा और रादौर। इनमें सढौरा ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को सबसे ज्यादा लगभग 40000 मतों की बढ़त प्राप्त हुई थी। यही बढ़त कांग्रेस उम्मीदवार के लिए जीत का एक आधार बनी थी ।


अब आप यह जानकर हैरान होंगे कि इस क्षेत्र के लोगों ने यह कयास लगाने शुरू कर दिए हैं कि जिस सढौरा विधानसभा चुनाव में लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली थी उसी सढौरा में अब कांग्रेस प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ सकता है। यह बहुत बड़े आश्चर्य की बात है। इसके दो प्रमुख कारण है। एक है भाजपा की टिकट तो दूसरी है कांग्रेस की । सढौरा की 2019 की कांग्रेस की जीत के पीछे का बड़ा कारण यह माना जाता है कि भारतीय जनता पार्टी ने सढौरा में पूर्व विधायक बलवंत सिंह को टिकट दे दी। उनके खिलाफ नकारात्मकता का बड़ा माहौल था। लोग भाजपा को वोट नहीं देना चाहते थे। ऐसे में नई उम्मीदवार के रूप में रेनू बाला कांग्रेस की टिकट ले आई तो उन्हें इसी बात का लाभ मिल गया और वह एक ही झटके में विधायक बन गई। वह कुछ दिन पहले भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आई थी।अब स्थिति यह है कि रेनू बाला विधायक के रूप में लोगों का विश्वास इसलिए नहीं जीत पाई की उनका जनसंपर्क बहुत ढीला रहा। देखा यह जा रहा था कि कांग्रेस का प्रतिनिधित्व यहां के कांग्रेस के नेता ब्रज पाल छप्पर करते रहे ।वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ग्रुप के नेता रहे हैं। जबकि रेनू बाला को टिकट का प्रसाद कांग्रेस की नेत्री कुमारी शैलजा से मिला था। मतलब रेनू बाला कुमारी शैलजा ग्रुप की सीटिंग एमएलए है। जानकार बताते हैं कि यहां के मतदाता विधायक की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं है। जानकार कहते हैं कि हालात यह बन गए हैं कि जैसी स्थिति बलवंत सिंह भाजपा की है लगभग ऐसी ही स्थिति रेनू बाला कांग्रेस की हो गई है। ऐसे में एक नई प्रगति ने सढौरा की राजनीतिक स्थिति को बदल दिया है। प्रगति यह है कि रेनू बाला के मुकाबले कांग्रेस की टिकट मांग रहे बृजपाल छप्पर और उनकी पत्नी पिंकी छप्पर ने कांग्रेस की टिकट की घोषणा के बाद कांग्रेस को अलविदा कह दिया है और अब दोनों पति-पत्नी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए हैं और पार्टी ने बृजपाल छप्पर को टिकट भी दे दी है। वह 11 सितंबर को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
आपको बता दें कि बृजपाल छप्पर की पत्नी पिंकी छप्पर इंडियन नेशनल लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी है और इंडियन नेशनल लोकदल तथा बसपा अब गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं ।मतलब बृजपाल छप्पर इन दोनों के संयुक्त उम्मीदवार है। बृजपाल की मेहनत और समर्पण को देखते हुए उन्हें सढौरा में बहुत मजबूत प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है। क्षेत्र के जानकार इस बात का भी दावा कर रहे हैं कि बृजपाल छप्पर का अपना वोट बैंक तो है ही ,उन्हें इंडियन नेशनल लोकदल, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के मतदाताओं का समर्थन भी मिलेगा ।उन्हें जिताऊ उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। बृजपाल चुनाव जीते तो अंबाला लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की एक सीट और कम हो जाएगी। बृजपाल छप्पर और पिंकी चप्पल के बारे में इस क्षेत्र के जानकार एक बात डंके की चोट पर रहते हैं कि यह दोनों जनता के बीच के लोग हैं और हर समय जनता के हितों की राजनीति करते हैं। इस क्षेत्र की समस्याओं को जानते ही नहीं बल्कि उनका समाधान भी जानते हैं। बृजपाल के मैदान में आने से कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों में चिंता की लहर दौड़ गई है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि वह इन दोनों दलों के उम्मीदवारों की जीत में बाधा ही नहीं बनेंगे बल्कि चुनाव जीतने में सफल भी होने वाले हैं। बुधवार को उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के समय भी उनकी लोकप्रियता का नजारा देखने को मिल सकता है।

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