करनाल से त्रिलोचन सिंह की उम्मीदवारी का मतलब कांग्रेस की जीत!

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दक्ष दर्पण समाचार सेवा

चण्डीगढ़

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लाडवा से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद करनाल सीट बहुत महत्वपूर्ण हो गई है । वह इसलिए कि कांग्रेस अब इस सीट को जीत सकती है। यहां से श्री सैनी ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधायक रहे हैं। देखा जाए तो यह सीट कांग्रेस के लिए अब बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। यदि करनाल से कांग्रेस चुनाव जीतती है तो इसका बहुत बड़ा संदेश पूरे प्रदेश में जाएगा। कांग्रेस को बाकी बचे सभी हलकों के उम्मीदवारों की सूची जारी करनी है। देखने वाली बात यह है कि दो मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे करनाल के कांग्रेस के नेता त्रिलोचन सिंह को एक बार फिर मौका देती है या नहीं।
व्यवहार में देखा जाए तो अब त्रिलोचन सिंह को मौका अवश्य मिलना चाहिए ।उनके चुनाव जीतने की संभावनाएं भी बनी हुई है । अधिकतम 550000 तक वोट वोटर ले गए त्रिलोचन सिंह के सामने दोनों बार मुख्यमंत्री उम्मीदवार रहे हैं जबकि अब उनके सामने भाजपा का एक स्थानीय नेता मैदान में है।
त्रिलोचन सिंह के पक्षधर कांग्रेस के लोगों का मानना है कि एक तो त्रिलोचन का टिकट पर वैसे ही हक बनता है दूसरा उसे जीतने की संभावना इसलिए है कि उन्हें पंजाबी, सिख्ख, दलित ,जाट और अग्रवाल समाज की वोट मिल सकती हैं। उन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कारण जाटों में, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के कारण दलितों में भरपूर समर्थन मिल सकता है। ब्राह्मणों में भी उनकी अच्छी गुडविल बताई गई है। त्रिलोचन सिंह इस बार जीताऊ उम्मीदवार माने जा रहे हैं ।
लेकिन पता चला कि पार्टी में कुछ लोग पूर्व विधायक सुमिता सिंह को टिकट दिलाने की कोशिश में है जबकि यह प्रयास कांग्रेस के लिए घंटे का सौदा सिद्ध हो सकता है। कारण एक दो नहीं कई है। एक बड़ा कारण जो यह है कि सुमीता सिंह के मैदान में आते ही उनकी चिर विरोधी करनाल की मेयर रेनू बाला निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी मैदान में आ सकती हैं ।इससे कांग्रेस अग्रवाल वोटर से हाथ धो बैठेगी। सुमिता सिंह को दलित लोग पसंद नहीं करते यह आम धारणा है।
यहां टिकट के यहां एक और दावेदार हैं ।वह है पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेश गुप्ता। श्री गुप्ता को टिकट मिलती है तो उन्हें आउटसाइडर कैंडिडेट के रूप में देखा जाएगा। कुल मिलाकर करनाल का कांग्रेस का समर्पित कार्यकर्ता त्रिलोचन सिंह का न केवल समर्थक है बल्कि उसके प्रति सहानुभूति भी रखता है। नियमानुसार कांग्रेस को इधर-उधर बदले झांकने की बजाय अपने परंपरागत उम्मीदवार त्रिलोचन सिंह को ही टिकट देने का फैसला करना चाहिए यही कांग्रेस के हित में रहेगा।

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