जो जीतेगा कालका, उसका होगा राज !कालका, भाजपा और कांग्रेस की जीत की बानगी।

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धर्मपाल वर्मा

दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2024@gmail.com

चंडीगढ़

(पॉलिटिकल डैस्क )

मौजूदा विधानसभा चुनाव सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। जान ले कि 2019 में लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस हरियाणा में एक भी सीट पर भी जीत नहीं पाई थी जबकि भारतीय जनता पार्टी 10 की 10 सीट जीतने में सफल हुई थी। 2019 के लोकसभा के चुनाव के 6 महीने बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो वहीं कांग्रेस 31 विधानसभा क्षेत्रों से जीत हासिल करने में सफल हुई जिसका लोकसभा के चुनाव में हरियाणा में खाता भी नहीं खुला था ।अब तो कांग्रेस 10 में से पांच पांच लोकसभा सीटों पर कामयाब हुई है ।यही कारण है कि कांग्रेस के नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया है कि लोकसभा में हाफ, विधानसभा में साफ।
भारतीय जनता पार्टी को अब यह जान लेना चाहिए कि मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस न केवल कंफर्टेबल स्थिति में है बल्कि उसकी लहर आती दिखाई दे रही है। इस लहर को रोकना आसान नहीं है जब लहर होती है तो कमजोर लोग भी जीत जाते हैं और जब इनकंम्बैसी नजर आती है तो मजबूत लोग भी चुनाव हार जाते हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पार्टी के केंद्रीय नेताओं को अभी से यह जान लेना चाहिए कि उनकी डगर आसान नहीं है। जिन्हें मजबूत उम्मीदवार माना जाता है वह भी चुनाव में फंस सकते हैं। चुनाव में हालात बता देते हैं कि असली स्थिति क्या है हर चीज चुनाव का एक रुझान होता है जिसे समझने की जरूरत है । एक बात अच्छे से समझ लेने की है कि टिकटोक को लेकर पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं पदाधिकारी जिला अध्यक्ष तक खुले आम पार्टी का विरोध कर रहे हैं और पार्टी इतनी दिवस और कमजोर नजर आ रही है कि किसी को चेतावनी देने की कोशिश भी नहीं की जा रही। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री ने एक बात साफ कर दी है कि कोई उम्मीदवार बदला नहीं जाएगा।
जब लोकसभा का चुनाव चल रहा था हमने यह कहा था कि स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस 10 की 10 सीट भी जीत सकती है ।जीत भी सकती थी लेकिन राजनीति में कई बार ऊपर का माल नीचे और नीचे का माल ऊपर भी हो जाता है। अंदर खाने एक दूसरे की मदद के फार्मूले तैयार कर लिए जाते हैं।
अब बात करते हैं मौजूदा विधानसभा चुनाव की, भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव को जीतने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाना होगा। सबसे पहले नाराज लोगों को मनाना कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतना और और लोगों के बीच में जाकर यह साबित करने की कोशिश करना होगा कि हम जीत रहे हैं।
अब हम हरियाणा के नंबर एक हल्के कालका की बात करते हैं। यहां लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बढ़त मिली इसलिए यह मानना गलत नहीं होगा कि विधानसभा में भी कालका से भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीत सकती है। यहां भारतीय जनता पार्टी की विधायक रही लतिका शर्मा की टिकट काट दी और हाल में भाजपा में शामिल हुई अंबाला की मेयर शक्ति रानी शर्मा को टिकट दे दी गई है। पार्टी के इस फैसले से लतिका शर्मा और उनके समर्थक नाराज हैं दुखी हैं और हताश भी है । यद्यपि लतिका शर्मा ने उम्मीदवार का चुनाव लड़कर विरोध करने की बात नहीं कही है। उन्होंने विरोध भी बैलेंस तरीके से करने की चेष्टा की है। लेकिन वह और उनके समर्थक शक्ति रानी के पक्ष में है ऐसा भी नहीं लगता। यहां एक बात और समझने की है कि कालका से विनोद शर्मा चुनाव लड़ सकते हैं ऐसी खबरें बार-बार आती रही है। इसके पीछे का कारण यह था कि विनोद शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीबी है जबकि मनोहर लाल लतिका शर्मा और उनके परिवार जनों को लेकर संतुष्ट नजर नहीं आते थे ।यही कारण था कि लतिका की टिकट काटने की खबरें भी आती रहती थी। लतिका के परिवार से यहां के बहुत गुर्जर परिवारो की नाराजगी किसी से छुपी नहीं है। टिकट बटने से पहले ऐसी खबरें आनी शुरू हो गई थी कि शिकायतों के कारण लतिका शर्मा की टिकट काटी जा सकती है और वही हुआ भी। एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने उन्हें बोलने तक का मौका नहीं दिया था।
अब कांग्रेस ने कालका में मौजूदा विधायक प्रदीप चौधरी को टिकट दे दी है। बेशक उनके सामने भी कई चुनौतियां हैं परंतु उन्हें स्थानीय होने का लाभ मिल सकता है तो कांग्रेस की सरकार बनने के आसार भी उनके काम आ सकते हैं। मतलब वह आरंभिक दौर में भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले सुखद दिख रहे हैं। प्रदीप चौधरी के सामने भी दुश्वारियां बहुत है । पार्टी में ही कई लोग उनकी तरीके से लुटिया डूबोने की कोशिश कर सकते हैं। इसका लाभ मिलेगा भी भाजपा उम्मीदवार को ही।इस चुनाव में एक खास बात और है कि प्रचार के लिए बहुत समय नहीं है। 20 दिन मुश्किल से मिलेंगे ।अब नए उम्मीदवार के सामने ढेर सारी ऐसी व्यवहारिक चुनौतियां रहेगी जिन से पार पाना बहुत कठिन काम होगा ।कालका अर्ध पर्वतीय क्षेत्र है जहां मोरनी क्षेत्र में दूरस्थ गांव हैं। आपको पैदल चलकर पहुंचना होता है पांच पांच सात सात घरों के गांव हैं ।आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां एक पंचायत भोज कोटी में 36 गांव हैं। हल्के में जाना लोगों से मिलना बहुत जरूरी है ।कांग्रेस उम्मीदवार का यहां हल्के में हर जगह अपना नेटवर्क और सिस्टम है जो उनके बड़े काम आएगा। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को व्यवस्था बनाने में ही पांच सात दिन जरूर लग जाएंगे ।अगर कोई उम्मीदवार आरंभ से पिछे नजर आने लगे तो उसे आगे निकलने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। शक्ति रानी शर्मा को नाराज लतिका शर्मा को साथ लेना पड़ेगा , स्थानीय कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतना पड़ेगा और थोड़े समय में ही परफॉर्म करके दिखाना होगा। यह उनके लिए मुश्किल काम नहीं है लेकिन इसके लिए सिस्टम बनाना पड़ेगा। साधनों के मामले में विनोद शर्मा के सामने कोई दिक्कत नहीं है और वह खर्च करना भी जानते हैं लेकिन सिस्टम बनने में समय लगता है और समय कम है लेकिन एक बात जरूर कहनी पड़ेगी कि भारतीय जनता पार्टी के लोगों को चुनाव लड़ने आते हैं। कालका में भाजपा उम्मीदवार शक्ति रानी शर्मा के लिए टिकट के एक दावेदार ओमप्रकाश देवी नगर बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। वह न केवल गुर्जर है बल्कि कांग्रेस उम्मीदवार के चचेरे भाई हैं। वह हल्के की और हलके के लोगों की तासीर को जानते हैं।इस बार दिक्कत यही है कि भाजपा का कार्यकर्ता खुश नहीं है वह हताश और निराश है। आपको बता दें कि 2014 में शक्ति रानी शर्मा ने कालका से अपनी ही पार्टी जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिन्ह पर भाग्य आजमाया था। उन्हें लगभग 7600 वोट मिले परंतु इस स्थिति में भी भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार लतिका शर्मा जीत गई। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अब भाजपा की नहीं कांग्रेस की लहर की चर्चा है। ऐसे में चुनाव प्रबंधन भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाला है यदि शक्ति रानी शर्मा की टीम आम आदमी तक अपनी एप्रोच बनाने में सफल हो गई तो सफलता उसके कदम चूम सकती है। यहां निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आए गोपाल चौधरी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।अंत में यह कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता अभी थोड़े भ्रमित नजर आ रहे हैं लेकिन स्थिति यह है कि भाजपा का ग्राफ गिरा हुआ है। ज्यों ज्यों चुनाव प्रचार आगे बढ़ेगा, त्यौ त्यौ रुझान सामने आने लगेंगे। कालका में चुनाव प्रबंधन सबसे ज्यादा निर्णायक होगा।

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