गुहला मे चुनाव को लेकर टिकटों की चर्चा ज़ोरो पर है । विपक्ष के नेता अपनी – अपनी पार्टी में अपने आकाओं से हाज़री लगा रहे हैं कि टिकट लेकर मैदान में उतरें लेकिन हर नेता के दिमाग़ पर एक टेन्शन जरुर है कि टिकट वाली लड़ाई तो कांग्रेस नेताओं को लगता है जीत जायेगें लेकिन सामने कुलवन्त बाज़ीगर का मुक़ाबला कैसे करेगें तब थकावट महसूस होने लगती है क्योंकि कुलवन्त बाज़ीगर ने विकास के मामले में सबको पछाड़ दिया। लोग तो क्या सभी नेता भी दबी ज़ुबान से मानने लगे हैं कि कुलवन्त बाज़ीगर जितना कोई काम नहीं करवा सका । अगर कहीं गली , मोहले या चौपाल में बैठे लोंगों से किसी पार्टी का नेता वोट की चर्चा करते समय विकास की बात चल भी पड़ती है तो चाहे लोग किसी भी पार्टी के बैठे हों ,कुलवन्त बाज़ीगर को विकास पुरुष की संज्ञा जरुर देते हैं । लोग यह कहते सुनाई देते हैं कि हम तो लोकदल या कांग्रेस पार्टी के हैं लेकिन विकास तो कुलवन्त बाज़ीगर से ज़्यादा कोई नहीं करवा सका । विपक्षी नेता भी ज़्यादा बहस नहीं करते कि कहीं बहस से वोट का नुक़सान न हो जाए । यह भी चर्चा हर जगह सुनते हैं कि टिकट तो कुलवंत बाज़ीगर को ही मिलेगी दूसरी पार्टियों के टिकटार्थी भी पूछने पर सब एक बात कहते हैं हमारा मुक़ाबला कुलवन्त से है लेकिन अगर हम पत्रकार भी चर्चा या सर्वे की बात करें तो नेताओं वाले सभी गुण कुलवंत बाज़ीगर में हैं जैसे की सबका मान सम्मान करना , समय देना , विकास करवाना जैसे लोग चाहते हैं । इसलिए विधायक न होते हुए भी दफ़्तर में लगातार पाँच वर्ष से भीड़ कम न होना एक अच्छे राजनीतिक की तरह आगे बढ़ना छोटे- बड़े नेताओं को अपने वर्करों से यह सुनना पड़ता है कि कुलवन्त बाजीगर से सीख लो अगर क़ामयाब होना है तो