पारदर्शी व्यवस्था से घबराता क्यों है, विपक्ष ? – प्रवीण आत्रेय

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डीपी वर्मा

दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com

चंडीगढ़
भाजपा प्रवक्ता प्रवीण आत्रेय ने विपक्षी नेताओं पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि विपक्षी नेता विशेष तौर पर कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा व्यवस्था में पारदर्शिता से घबराते क्यों है। भुपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टल की आलोचना करते हैं। इससे भुपेंद्र सिंह हुड्डा की नियत पर ही सवाल खड़े होते हैं।
प्रवीण आत्रेय ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तकनीक के उपयोग से सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाते हुए तथा सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग पोर्टल की शुरुआत की है। इसका बड़ा उदाहरण “मेरी फ़सल मेरा ब्योरा” पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से किसान की फ़सल का एक एक दाना एम एस पी पर खरीदना सुनिश्चित किया। पहले की व्यवस्था में हर साल लगभग सात हज़ार करोड़ रुपए की घोस्ट पर्चेज होती थी। अर्थात जो पैसा प्रदेश के किसान की फ़सल खरीद पर ख़र्च होना चाहिए था वह किसी ओर की जेब में चला जाता था।
इसी प्रकार भुपेंद्र सिंह हुड्डा क्षतिपूर्ति पोर्टल की आलोचना में आसमान सिर पर उठाए रहते हैं। यद्यपि इस पोर्टल के माध्यम से देश में पहली बार हरियाणा के किसान को यह अधिकार मिला कि वह मौसम के प्रभाव से ख़राब हुई फ़सल का आंकलन स्वयं करके पोर्टल पर अपलोड करें। ताकि किसान को ख़राबे का उचित मुआवजा मिल सकें। पहले की व्यवस्था में सत्ता के नज़दीक रहने वाले लोग लाभ प्राप्त कर जाते थे। सामान्य किसान मुआवजे का इन्तजार करता रह जाता था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) के नाम से योजना लागू की। पीपीपी के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्ति तक पहुंचाया। पहले कुछ अपात्र व्यक्ति भी वोट-बैंक की राजनीति के कारण योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहे थे। परन्तु योग्य व्यक्ति योजनाओं के लाभ से वंचित था। समाज के गरीब और शोषित वर्ग को भी पीपीपी के माध्यम से लाभ मिलने लगा। उदाहरण के तौर पर पीपीपी के माध्यम से लगभग साढ़े बारह लाख बीपीएल कार्ड ऐसे लोगों के बने जो पात्र तो थे परन्तु वोट-बैंक की राजनीति में फिट नहीं बैठते थे। इसी प्रकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ भी योग्य व्यक्ति को नहीं मिल पाता था। परन्तु इस योजना के कारण आज पेंशनर्स की संख्या में लगभग 45% का इज़ाफा हुआ। सामाजिक पेंशन पर होने वाले ख़र्च में भी 4 गुणा बढ़ोतरी हुई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तकनीक के उपयोग से ऐसी व्यवस्था बना दी कि किसी भी साठ साल की आयु वर्ग के नागरिक को बुढ़ापा पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते। पोर्टल के कारण साठ साल की आयु होते ही पेंशन चालु हो जाती है।
प्रवीण आत्रेय ने सवाल पूछते हुए कहा कि “ऐसी अच्छी और पारदर्शी व्यवस्था की आलोचना के लिए, कहीं निजी स्वार्थ विपक्ष को मजबूर तो नहीं करते ?” क्योंकि हम पहले भी देख चुके हैं कि जब सरकार ने यह व्यवस्था बनाई कि किसान की फ़सल का पैसा सीधा किसान के खाते में जाएगा। विपक्ष तब भी इस व्यवस्था के विरोध में खड़ा था।

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