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अखिलेश यादव का साथ रहना बहुत जरूरी परंतु उनके लिए कांग्रेस नहीं मजबूरी।
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यह तालमेल भी निर्णायक हो सकता है।
_ इंटरनल स्टोरी_
डीपी वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com
2024 के संसदीय चुनाव नजदीक हैं अब एक बार फिर देश के कई राजनीतिक दलों के नेता तीसरा मोर्चा बनाकर भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी में हैं ।बड़ा दल कांग्रेस भी तीसरे मोर्चे के कांसेप्ट पर न केवल सकारात्मक है बल्कि राहुल गांधी ने तीसरे मोर्चे में शामिल होने मैं रुचि दिखाई है ।उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और तीसरे मोर्चे की मुहिम में जुड़े चौधरी ओम प्रकाश चौटाला की तारीफ भी की है। कॉन्ग्रेस 2024 में केंद्र में सरकार बनाने का भ्रम नहीं पाल रही है परंतु उसका मकसद तीसरे मोर्चे की मदद से ही सही ,भाजपा को लगातार तीसरी बार सरकार बनाने से रोकना जरूर है। कांग्रेस के नेता यह जरूर मानकर चल रहे हैं कि उनकी सीटें 3 गुना तक बढ़ सकती हैं डेढ़ सौ के आर पार पहुंच सकती हैं ।
ऐसी स्थिति में कांग्रेस के नेता नीतीश कुमार को सहयोग करने को तैयार हैं ।अब देखना यह है कि क्या राहुल गांधी मतलब कांग्रेस पार्टी नीतीश कुमार के हरियाणा के बड़े मकसद पर अपनी मुहर लगाएगी या नहीं। नीतीश कुमार का मकसद यह है कि कॉन्ग्रेस हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल से इतना सा गठबंधन जरूर करें कि प्रदेश में दस में से कुछ सीटें इंडियन नेशनल लोकदल के लिए भी छोड़ दे। उनमें एक सिरसा तो दूसरी भिवानी महेंद्रगढ़ हो सकती है। सिरसा में इनेलो मजबूत स्थिति में है जबकि भिवानी महेंद्रगढ़ में 2019 के चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल का उम्मीदवार मुकाबले में दूसरे नंबर पर रहा था। नीतीश कुमार धीरे-धीरे राहुल गांधी को यह समझाना चाहते हैं कि हरियाणा में कांग्रेस इनेलो से गठबंधन करेगी तो बड़ा फायदा कांग्रेस को ही होगा। फॉर्मूला यह है कि इंडियन नेशनल लोकदल के समर्थन के बाद हरियाणा में कांग्रेस उम्मीदवारों को हर सीट पर लगभग एक लाख वोटों का फायदा निश्चित तौर पर होगा । ऐसे में एक या दो सीट देकर अपनी कुछ सीटें जीतकर भाजपा को बैकफुट पर लाने ,उसे हराने का सौदा घाटे का नहीं रहेगा। नीतीश कुमार जानते हैं कि इंडियन नेशनल लोकदल को खुद के दम पर 10 की 10 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ना पड़ गया तो यह उसके लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है ।लेकिन गठबंधन में पार्टी 1 सीट भी जीत गई तो इसके राजनीतिक मायने बन जाएंगे।
जानकार तो यहां तक कहते हैं कि यह तो एक शुरुआत है असल में तो पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला यहां तक मन बना चुके लग रहे हैं कि सम्मानजनक तरीके से उचित समय पर अभय सिंह चौटाला की कांग्रेस में एंट्री भी हो जाए तो यह ठीक रहेगा। यद्यपि अभी तक उनका इस तरह का कोई बयान आदि नहीं आया है परंतु श्री चौटाला परिस्थितियों को बहुत अच्छे से समझ रहे हैं कि अब स्वतंत्र रूप से पार्टी चलाना इतना आसान नहीं है क्योंकि बिजनेस को प्राथमिकता देने वाले अभय सिंह चौटाला को फुल टाइम राजनीति करनी पड़ रही है। पार्टी के विभाजन के बाद जहां जे जे पी वालों ने भाजपा का पल्ला पकड़ लिया है वही इनेलो भी एक विकल्प की तलाश में है। आज हालात यह है कि नीतीश कुमार जैसे नेता कांग्रेस और इनेलो को गठबंधन के लिए नजदीक ला सकते हैं। अब नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव का परिवार ,इंडियन नेशनल लोकदल, शरद पवार ,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कई और बड़े नेता एक मंच पर आते दिखाई दे रहे हैं । इनमें उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी ही शर्तो पर इकट्ठे होते नजर आ रहे हैं ।इनके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंडरस्टैंडिंग भी है यह अंडरस्टैंडिंग ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल में कुछ ज्यादा है। इस प्रस्तावित अलायंस में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी शामिल हैं। इस विषय में फैसला जनता पर छोड़कर किसी को भी प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित न करके देश के कई बड़े नेता अपने मकसद से ही सही,एक हो सकते हैं ।ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इस मामले में रोजाना कुछ नया होता नजर आएगा।
जानकार तो यहां तक कहते हैं कि यह तो एक शुरुआत है असल में तो पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला यहां तक मन बना चुके लग रहे हैं कि सम्मानजनक तरीके से उचित समय पर अभय सिंह चौटाला की कांग्रेस में एंट्री भी हो जाए तो यह ठीक रहेगा। यद्यपि अभी तक उनका इस तरह का कोई बयान आदि नहीं आया है परंतु श्री चौटाला परिस्थितियों को बहुत अच्छे से समझ रहे हैं कि अब स्वतंत्र रूप से पार्टी चलाना इतना आसान नहीं है क्योंकि बिजनेस को प्राथमिकता देने वाले अभय सिंह चौटाला को फुल टाइम राजनीति करनी पड़ रही है। पार्टी के विभाजन के बाद जहां जे जे पी वालों ने भाजपा का पल्ला पकड़ लिया है वही इनेलो भी एक विकल्प की तलाश में है। आज हालात यह है कि नीतीश कुमार जैसे नेता कांग्रेस और इनेलो को गठबंधन के लिए नजदीक ला सकते हैं। अब नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव का परिवार ,इंडियन नेशनल लोकदल, शरद पवार ,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कई और बड़े नेता एक मंच पर आते दिखाई दे रहे हैं । इनमें उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी ही शर्तो पर इकट्ठे होते नजर आ रहे हैं ।इनके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंडरस्टैंडिंग भी है यह अंडरस्टैंडिंग ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल में कुछ ज्यादा है। इस प्रस्तावित अलायंस में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी शामिल हैं। इस विषय में फैसला जनता पर छोड़कर किसी को भी प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित न करके देश के कई बड़े नेता अपने मकसद से ही सही,एक हो सकते हैं ।ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इस मामले में रोजाना कुछ नया होता नजर आएगा।
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राहुल गांधी भी तीसरे मोर्चे के हक में।
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तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधी।
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सब का साथ देने को तैयार अरविंद केजरीवाल नहीं चाहते किसी रूप में भी भाजपा की सरकार।
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Mamta banarji अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल के साथ ज्यादा अंडरस्टैंडिंग।
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तीसरे मोर्चे के सबसे बड़े पक्षधर पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला आई एन एलडी ।
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चाचा भतीजा, आसार।