डीपी वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com चंडीगढ़
बेशक सभी राजनीतिक दल इस समय लोकसभा के चुनाव की तैयारी में लगे नजर आ रहे हैं लेकिन सबका फोकस विधानसभा चुनाव पर भी है ।कांग्रेस के नेता भी यह मानकर चल रहे हैं कि इस बार हरियाणा में लोकसभा के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी कराए जा सकते हैं ।
2019 के लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस हरियाणा में 10 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। वही विधानसभा चुनाव में 31 सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थक नेताओं का आज भी यह कहना है कि यदि श्री हुड्डा को छोड़कर प्रदेश कांग्रेस के दूसरे नेता गफलत का परिचय नहीं देते और कमजोर उम्मीदवारों को टिकट दिलाने से बचते जिद छोड़ कर जीत में सक्षम उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने का फैसला लेते तो 2019 में ही हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती। इस मामले में 2019 में रणदीप सिंह सुरजेवाला संपत सिंह सहित कई उम्मीदवारों की हार पर सवालिया निशान उठाए जा रहे हैं ।
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस ने फ्री हैंड दे दिया है ।नया प्रदेश अध्यक्ष उनके साथ ताल से ताल मिला कर चल रहा है ।इसलिए श्री हुड्डा ने कथित तौर पर एक नया फार्मूला अप्लाई करने के लिए सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर दिए हैं।कोऑर्डिनेटर हल्के के निवासी नहीं है सब बाहर से मुकर्रर किए गए हैं। जो यह रिपोर्ट देंगे कि हल्के में कौन उम्मीदवार जीत सकता है । उम्मीदवार के हारने के क्या-क्या कारण हैं । इसके समानांतर सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में किसी प्राइवेट एजेंसी से भी सर्वे कराया जाएगा । इसके बाद कोऑर्डिनेटर और सर्वे की रिपोर्ट को मध्य नजर रखते हुए टिकटों का फैसला होगा ।जीतने वाला उम्मीदवार कोई भी हो उसी को टिकट मिलेगी ।जहां तक पार्टी के प्रदेश के नेताओं का सवाल है वह खुद के लिए अपनी टिकट चाहेंगे या अपने परिजनों के नाम आगे करेंगे तो उन्हें टिकट दी जा सकती हैं।
मतलब यह है कि कांग्रेस में पहले यह व्यवस्था थी कि रोहतक सोनीपत झज्जर पानीपत जैसे जिलों में टिकट बांटने के अधिकार एक तरह से भूपेंद्र हुड्डा के थे ।इसी तरह भिवानी जिले में ऐसे अधिकार मुख्य तौर पर किरण चौधरी को प्राप्त थे। ऐसे ही रणदीप सिंह सुरजेवाला को कैथल और कुरुक्षेत्र के अलावा जींद जिले में भी अहमियत दी गई थी। इसी तरह कैप्टन अजय सिंह यादव की अहीरवाल में विशेष अहमियत नजर आई थी। बीच-बीच में कुछ टिकटें भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला की संस्तुति पर अलग-अलग जिलों में भी कुछ टिकटें दी गई थी परंतु भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहो या प्रदेश कांग्रेस नया फार्मूला पुरानी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए बनाया गया है ।अब देखना यह है कि दूसरे नेता इस पर सहमत होंगे या नहीं ।हाईकमान उपरोक्त फार्मूले पर सहमति देगी या नहीं।
गांधी परिवार की विश्वस्त नेत्री कुमारी सेलजा अपनी बात मनवाने में सक्षम हैं।
कांग्रेस के नीति निर्धारण में अहम भूमिका और कर्नाटक में प्रभारी होने का लाभ मिल सकता है रणदीप सिंह सुरजेवाला को।
Bhupendra Singh hooda.
राजनीतिक समायोजन में इतना तेज तर नेता हरियाणा में कांग्रेस में कोई और नहीं।
एक बात जरूर है। वह यह कि कांग्रेस में टिकटों के बंटवारे के समय अमूमन सीटिंग गैटिंग का फार्मूला भी काम करता है। यदि ऐसा भी हुआ तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कोई नुकसान होने वाला नहीं है क्योंकि ज्यादातर मौजूदा विधायक उन्हीं के समर्थक हैं।
हरियाणा में आम होती है राजनीतिक गपशप।