दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com
गुरुग्राम 17 अप्रैल 2023 तरविंदर सैनी (माईकल) आम आदमी पार्टी के अनुसार 2016 में बनाई गई शिक्षक तबादला नीति शुरुआत से ही उलझनों भरी रही है जिसे समझने-समझाने में शिक्षा विभाग ही जूझता नजर आया वहीं टीचर्स के लिए इसके अनुरूप ढलना अभी भी असहज ही रहा है परन्तु भाजपा सरकार के अनीतिगत निर्णयों के आगे सब बेबस ही दिखाई दिए , विचारणीय प्रश्न यह है कि तबादले के समय महिलाओं को दस अंक अतिरिक्त देने और पांच अंक कपल्स होने के नाम पर देने से भी टीचर्स असहज महसूस करते हैं , यदि अंक देना चाहती ही है सरकार तो नतीजों आधारित प्रदान करे अन्यथा ऐसे भेदभावपूर्ण व्यवहार एवं मानसिक असंतुलन वाले परिवेश में अध्यापक किस प्रकार बच्चों को शिक्षित कर पाएंगें और कैसे उनसे बेहतर नतीजों की कामना कर सकते हैं जब्कि स्वम् प्रतिदिन तनावपूर्ण माहौल से होकर गुजरना पड़ता हो उन्हें जहां तबादले की तलवार लटकी नजर आती हो ?
सरकारी निर्णयों ने अध्यापकों के समक्ष 7-जोन में ब्लॉक शहर, नजदीकी क्षेत्र, जिला, खंड व ग्रामीण क्षेत्र चुनने का विकल्प भरवाया है जहां पांच साल उन्हें सेवाए देने उपरांत अनिवार्य रूप से खंड, जिला, क्षेत्र,जोन को छोड़कर अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है बस यही बात तनाव का विषय बनी हुई है जिसका समाधान खट्टर सरकार अभितल्क नहीं खोज सकी है ।
अधिकांश टीचर्स चाहते हैं कि यह जोन के चयन की प्रक्रिया ही समाप्त कर देनी चाहिए अगर नहीं तो एक बार यह अवधि पूर्ण करने वाले अध्यापकों को तो पुनः जोन सिस्टम में नहीं लाना चाहिए अर्थात उनके परीक्षा परिणाम बेहतर आने पर उनकी पसंद का स्टेशन दिया जाना चाहिए बतौर इनाम चूंकि उसने मेहनत की है मगर सरकार उसके विपरीत दोनों कमाने वाले कपल्स को पांच अंक अतिरिक्त देकर लाभ पहुंचाती है बल्कि सिंगल्स इस मामले में भी वंचित रह जाते हैं जब्कि उसकी आय कम व्यय अधिक होता है । खैर..
माईकल सैनी कहते हैं कि शिक्षा के बजट को घटाने और उसे बर्बाद करने की मंशा पालने वाली खट्टर सरकार विद्यार्थियों की परीक्षा के समय ही अध्यापकों के तबादले करने में जुट गई ताकि शिक्षक मानसिक रूप से परेशान रहें और वह सरकारी स्कूलों के अच्छे नतीजे नहीं ला सकें !
मौजूदा सरकार ने नियम 134-ए समाप्त कर ईडब्ल्यूएस कटेगरी में दाखिला देने का प्रलोभन तथा चिराग जैसी फिजूल योजना जो सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को निजी स्कूलों में धकेलती है दुर्भाग्यपूर्ण है !
इधर अध्यापकों से वोटर कार्ड आधार से लिंक कराना हो या परिवार पहचान पत्र और या फिर चुनावों में ड्यूटी लगाया जाना हो या कोई सर्वे अध्यापन के कार्य में बाधा डालने के समान है ऊपर से तबादलों की मार जो दर्शाता है कि विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर खट्टर सरकार शिक्षण संस्थाओं को बर्बाद कर देना चाहती है ।
माइकल सैनी