धर्मपाल वर्मा
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Padam Singh Dahiya ex MLA
जननायक जनता पार्टी की जिला सोनीपत इकाई के अध्यक्ष पूर्व विधायक पदम सिंह दहिया के
कांग्रेस में शामिल होने की खबर के साथ ऐसी चर्चाएं भी चल पड़ी है कि वह भविष्य में सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार भी हो सकते हैं। 2000 में सोनीपत जिले के रोहट (अब खरखोदा) से विधायक रहे श्री दहिया सरल सकारात्मक और शरीफ नेता के रूप में जाने जाते हैं ।उनका विधानसभा क्षेत्र रोहट मतलब खरखोदा रिजर्व होने के बाद उनके चुनाव क्षेत्र को लेकर सवाल उठा था परंतु 2014 में इंडियन नेशनल लोकदल ने उन्हें सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से टिकट देकर एक तरह से एमपी के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर दिया था। यद्यपि रोहट हलके के कुछ गांव गोहाना विधानसभा क्षेत्र में शामिल कर लिए गए हैं और पदम सिंह दहिया को उनके समर्थक गोहाना विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकते हैं लेकिन आम धारणा यह है कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता श्री दहिया को लोक सभा के भावी उम्मीदवार के रूप में ही देखेंगे।
कांग्रेस पार्टी के नेता सोनीपत संसदीय क्षेत्र से जाट को और उनमें भी दहिया और मलिक गोत्र के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते आए हैं और कांग्रेस ने गैर जाट के रूप में केवल एक बार 1989 में स्वर्गीय पंडित चिरंजी लाल शर्मा को ही टिकट दी है ।ऐसे में दहिया गोत्र को अधिमान देते हुए टिकट देने का सवाल आया तो पदम सिंह दहिया के नाम पर प्राथमिकता पर विचार संभव है।यद्यपि सुरेंद्र दहिया भी टिकट के दावेदार हैं परंतु दो बार का विधायक होना और एक बार सोनीपत से ही संसदीय चुनाव लड़ना पदम सिंह दहिया के पोलिटिकल स्टेटस को बड़ा दिखाने के काम आएगा। दहिया उम्मीदवार के रूप में राई के पूर्व विधायक जयतीर्थ का नाम भी आता रहता है लेकिन बताते हैं कि उनकी रूचि विधानसभा में ज्यादा है ।उनके पास अपना हल्का है जहां से वे दो बार विधायक रहे हैं।
पदम सिंह दहिया 1989 में उस समय राजनीतिक चर्चा में आए थे जब डॉक्टर अजय सिंह चौटाला ने राजस्थान में इनेलो के उम्मीदवार के रूप में नोहर से चुनाव लड़ा था । पदम सिंह दहिया दल बल के साथ अजय सिंह के समर्थन में नोहर गए और वहां चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया। सब जानते हैं कि डॉक्टर अजय सिंह वह चुनाव जीत गए थे। उनके काम से प्रभावित होकर उस समय के इनेलो के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने उन्हें पहले इनेलो की सोनीपत जिला शाखा का अध्यक्ष बनाया फिर उन्हें 1991 में रोहट से विधानसभा की टिकट दी।
पदम सिंह अपना पहला चुनाव हार गए और 1996 में भी थोड़े से मतों के अंतर से बछड़ गए। 1999 में मुख्यमंत्री बने ओम प्रकाश चौटाला ने सन 2000 में फिर पदम सिंह दहिया को फिर चुनाव लड़ने का मौका दिया और वे यह चुनाव जीत गए।
बहुत लोगों को इस बात का पता है कि 2000 में जब इनेलो की फिर से सरकार बनी तो मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला अपने दो विधायकों नारायणगढ़ के पवन दीवान और रोहट के पदम सिंह दहिया को विशेष सम्मान दिया करते थे।
इसके पीछे एक बड़ा कारण था। उस सरकार में बहुत कम ऐसे इनेलो विधायक थे जो हीरो होंडा मोटरसाइकिल की एजेंसी, स्वराज ट्रैक्टर की एजेंसी या पेट्रोल पंप हासिल करने के लालच से बच पाए हो ।उस समय के इनेलो के लगभग सभी विधायकों के अपने पेट्रोल पंप हैं। परंतु पदम सिंह दहिया ने इस तरह का लालच नहीं किया। उस सरकार में अधिकांश विधायक विदेशी दौरों पर भी गए । बताते हैं कि इस संदर्भ में जब श्री चौटाला ने पदम सिंह भैया को विदेश दौरे की पेशकश की तो उन्होंने यह कहते हुए विदेश जाने से इंकार कर दिया कि ,ऐसे ही रूख (पेड़ पौधे )यहां है ,ऐसे ही वहां होंगे ,मेरी ऐसी कोई रुचि नहीं है ,बेकार में सरकार का पैसा जाया होगा ,मैं नहीं जाना चाहता। मुख्यमंत्री रहते चौधरी ओमप्रकाश चौटाला पदम सिंह दहिया को विशेष अभिमान देते थे उन्हें बाद में इनेलो सोनीपत का जिलाध्यक्ष भी बनाया गया।
यह अलग बात है कि जब इनेलो का विभाजन हुआ तो पार्टी की लगभग सारी की सारी यूनिट जेजेपी में चली गई थी और पदम सिंह दहिया भी इनेलो छोड़ गए थे फिर जेजेपी ने भी उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया था। पदम सिंह के समर्थक कार्यकर्ता दो चीजों को विशेष तौर पर मन मस्तिष्क में रखकर चल रहे हैं ।एक यह कि पुराने रोहतक जिले में जिसे भी कांग्रेस की राजनीति करनी है उसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा की शरण में ही जाना चाहिए दूसरा यह कि इनेलो से आए नेताओं को जितना सम्मान भूपेंद्र सिंह हुड्डा देते आए हैं उतना किसी और नेता ने नहीं दिया। पदम के समर्थक जेजेपी को छोड़ देने और कांग्रेस में शामिल होने के फैसले को उनकी राजनीतिक सूझबूझ बता रहे हैं।