क्या भूपेश की तरह भूपेंद्रसिंह हुड्डा को भी लड़ना पड़ेगा लोकसभा का चुनाव !

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दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com। कांग्रेस ने उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की है उसमें कुछ खास बातें उभर कर सामने आई है ।एक उसमें ओबीसी उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई है, दूसरे कांग्रेस पार्टी दक्षिण भारत में अपने जनाधार को फोकस करती नजर आई है । इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी ने टिकटो मे उत्तर भारत को फोकस किया था। पहली सूची में कांग्रेस की टिकटें दक्षिण भारत के राज्यों से तय की गई है लेकिन उत्तर भारत और हिंदी भाषी बेल्ट में पार्टी के बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने के आदेश दिए गए हैं। जिस तरह से छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लोकसभा का टिकट दिया गया है उसे देखते हुए राजस्थान से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री मुख्यमंत्री सचिन पायलट पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा आदि वरिष्ठ नेताओं भी चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसी तरह हरियाणा में दीपेंद्र हुड्डा के अलावा कुमारी शैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी टिकट दी जा सकती है ।भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से, कुमारी शैलजा सिरसा या अंबाला से ,किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी भिवानी महेंद्रगढ़ से कांग्रेस के प्रत्याशी हुए तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। बताते हैं कि कुमारी शैलजा ने एक तरह से यह शर्त भी रख दी है कि वह विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती हैं लेकिन उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ने को कहा गया तो फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी लड़ना पड़ेगा। जहां तक रणदीप सुरजेवाला का सवाल है वह चुनाव से बच सकते हैं। एक इसलिए कि वे पहले ही राज्यसभा के सदस्य हैं दूसरा यह कि उनका लोकसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र इंडिया गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी के लिए छोड़ दिया गया है। अब कांग्रेस में यह सवाल उठ रहा है कि यदि कुमारी शैलजा चुनाव लड़ेंगी तो क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा नहीं लड़ेंगे। कुमारी शैलजा भूपेंद्र सिंह हुड्डा दीपेंद्र सिंह हुड्डा श्रुति चौधरी को छोड़कर शेष 6 सीटों पर कांग्रेस को नए उम्मीदवारों की मदद लेनी पड़ेगी। हिसार लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की लगातार तीन चुनाव में जमानत जप्त होती आ रही है। कहां जा रहा है कि यहां पार्टी ले देकर जयप्रकाश जेपी को ही मैदान में उतरेगी तो चौथी बार भी जमानत जप्त होने की आशंका बनी रहेगी। जयप्रकाश आखरी बार 2004 में हिसार से सांसद चुने गए थे। कहा जाता है कि चुनाव लड़ने को तैयार रहते हैं हार जीत की परवाह नहीं करते।

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