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· डीपी वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा
चंडीगढ़, 11 अप्रैल, 2023: मिर्चियाज़ लेज़र क्लिनिक, डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल की एक युनिट, चंडीगढ़ के सेक्टर 22 में एक अग्रणी विशेषज्ञ और अत्याधुनिक सुविधा है। इसके अल्ट्रा-वाइड फील्ड और अल्ट्रा हाई डेफिनिशन, मल्टीमोडल इमेजिंग सुविधा पेश की है। हॉस्पिटल ने जर्मनी से हाई परफॉर्मेंस ‘ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी एंजियोग्राफी (ओसीटीए)’ सिस्टम के साथ आईकेयर एक्सीलेंस में एक नए चैप्टर की शुरूआत भी की है। इन नई सुविधाओं से लैस ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रेटिना’ का उद्घाटन डॉ.सुमन सिंह, डायरेक्टर, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, और मिशन डायरेक्टर, नेशनल हेल्थ मिशन, यूटी चंडीगढ़ द्वारा किया गया। डॉ. सुमन सिंह ने कहा कि अब ट्राईसिटी और इस पूरे रीजन के नेत्र रोगियों को एक ही जगह पर रेटिनल इमेजिंग की बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
डॉ.राजीव मिर्चिया, डायरेक्टर, मिर्चियाज़ लेज़र आई क्लिनिक, डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल की एक युनिट ने बताया कि ‘‘अल्ट्रा-वाइड फील्ड और अल्ट्रा हाई डेफिनिशन, मल्टीमॉडल इमेजिंग सुविधा एक एडवांस्ड इमेजिंग तकनीक है जो रेटिनल बीमारियों और असामान्यताओं का प्रभावी पता लगाने के लिए रेटिना और कोरॉयडल ब्लड वेसल्स की हाई-रिजॉल्यूशन 3-डी एंजियोग्राम बनाती है। यह डॉक्टर को फोविया से रेटिनल पैथोलॉजी का मूल्यांकन करने में सक्षम बनाता है जो कि रेटिना के सेंटर में एक छोटा से छेद के आकार का होता है।’’
डॉ.मिर्चिया ने अपने डॉक्टरों की टीम रेटिना स्पेशलिस्ट्स, डॉ.प्रवीण सेन, डॉ.शिल्पा गोयल और डॉ.साहिल जैन के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए आगे कहा कि ‘‘यह अत्याधुनिक ‘‘स्कैनिंग लेज़र ओफ्थाल्मोस्कोपी आधारित मल्टीमॉडल इमेजिंग प्लेटफॉर्म’’ एक ही शॉट में रेटिना की 163-डिग्री अल्ट्रा-वाइड फील्ड इमेज प्रदान करता है। ये इमेजिंग अल्ट्रा-वाइड फील्ड फ्लोरेसिन और इंडोसायनिन ग्रीन एंजियोग्राफी के साथ मिलती है। यह अद्वितीय स्पष्टता के साथ रेटिना स्ट्रक्चर वेस्कुलचर का एक बढ़ा हुआ व्यू प्रदान करता है।’’ उन्होंने बताया कि यह सभी मधुमेह रोगियों की रेटिना की जांच करने और प्रारंभिक अवस्था में डायबिटीज (मधुमेह) संबंधी रेटिनोपैथी का पता लगाने का एक अच्छा साधन है। यह बेहतर उपचार की अनुमति देता है और डायबिटीज के कारण होने वाले अपरिवर्तनीय (इरिवर्सिबल) ब्लाइंडनेस को रोकता है।
उन्होंने मीडियाकर्मियों को बताया कि यह एक बेहतरीन टूल है जिससे रोगी को अपनी बीमारी के बारे में शिक्षित किया जा सकता है, जिससे कम्पलाएंस में सुधार होता है। नेत्र विशेषज्ञों ने कहा कि यह डायबिटिक रेटिनोपैथी, उम्र से संबंधित मैकुलर डीजेनरेशन, ईल्स रोग और यहां तक कि कुछ बचपन की रेटिनल समस्याओं जैसे समय से पहले उभरना और जेनेटिक रेटिनल स्थितियों की रेटिनोपैथी जैसी स्थितियों में उपयोगी हो सकता है।
उन्होंने नई ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटीए) का विवरण भी मीडिया के साथ साझा किया। मीडियाकर्मियों को बताया गया कि ओसीटीए आंखों की स्थिति का पता लगाने में एक क्रांतिकारी बदलाव है क्योंकि यह नॉन-इनवेसिव है और नेत्र रोगों के डायग्नोसिस (निदान) में डाइज के उपयोग को समाप्त करता है; डॉ. राजीव मिर्चिया ने आगे कहा कि यह बदले में नेत्र संबंधी एलर्जी रिएक्शंस और डाई आधारित टेस्टिंग की जटिलताओं के जोखिम को समाप्त करता है जो विशेष रूप से हृदय और गुर्दे की बीमारियों, एडवांस्ड डायबिटीज और हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप के रोगियों में देखा जाता है।
यह विशेष रूप से उम्र से संबंधित मैकुलर डीजेनरेशन और डायबेटिक रेटिनोपैथी रोगियों के लिए अच्छी खबर है, जिन्हें लगातार हर महीने होने वाले फॉलोअप और इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। डॉ.मिर्चिया ने कहा कि ‘‘इन स्थितियों का अब पूरी तरह से आंख की नॉन-इनवेसिव स्कैनिंग द्वारा पालन किया जा सकता है।’’
एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. मिर्चिया ने कहा कि कुल मिलाकर, रेटिना के सभी रोगों का अब सही ढंग से डायग्नोस किया जा सकता है और हमारे हॉस्पिटल में रेटिना विशेषज्ञों की विशेषज्ञ टीम द्वारा पर्याप्त रूप से फॉलोअप और उपचार किया जा सकता है। डॉ.मिर्चिया ने कहा कि ‘‘हमने जो टेक्नोलॉजीज पेश की हैं, वे रेटिना की स्थिति का डीप डायग्नोसिस करेंगी और मरीज का काफी अधिक समय भी बचाएंगी।’’
तकनीक का प्रदर्शन ।
डॉक्टर एवं विशेषज्ञ