पत्रकारों को धमकाने पर लगेगा जुर्माना व होगी जेल, केंद्र व राज्य सरकारों का एलान सरहानीय : नवीन बंसल (राष्ट्रीय प्रवक्ता,आजाद पत्रकार मोर्चा)

Spread the love

डी पी वर्मा

दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com

चंडीगढ़

माननीय प्रयागराज हाइकोर्ट व भारतीय प्रेस काउंसिल के निर्देश के बाद सरकार ने लिया पत्रकारों के सन्मान पर संज्ञान
दिल्ली, 5 अप्रैल 2023 (ब्यूरो) आजाद पत्रकार मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवीन बंसल ने संघठन की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि माननीय प्रयागराज हाईकोर्ट पत्रकारों के सम्मान व सुरक्षा को निश्चित करते हुए अपने एक निर्णय में यह निर्देश दे चुका है कि, पत्रकार अपना कार्य करने के लिये स्वतंत्र है उनके साथ गलत व्यवहार करने वालों पर तुरंत कानूनी कार्यवाही होगी, पत्रकार अपनी काबिलियत एवं श्रम के साथ निष्पक्षता के साथ कार्य करते हैं,पत्रकार के काम में बाधा डालने वालों पर कठोर कानूनी कार्यवाही होगी

राष्ट्रीय प्रवक्ता बंसल ने केन्द्र व राज्य सरकारों की सराहना करते हुए कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद प्रधानमंत्री मोदी और कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए घोषणा कर चुके है कि पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर 50,000 हजार रुपये का जुर्माना व पत्रकारों से बदसलूकी करने वालो को 3 साल की जेल भी होगी। पत्रकार को धमकाने वाले गुंडों को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा।
पत्रकारों को धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को जल्दी से जमानत भी नहीं मिलेगी। देश व प्रदेश के मुखिया यह भी एलान कर चुके हैं कि पत्रकारों को परेशानी होने पर प्रशासन तुरंत संपर्क कर सहायता प्रदान करें साथ ही पत्रकारों से मान-सम्मान से बात करें वरना आप को महंगा पड़ेगा।
पत्रकारों से बदसलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज होगा। पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते हैं।
पत्रकार सुरक्षा व सन्मान पर भारतीय प्रेस काउंसिल का आभार जताते हुए नवीन बंसल ने कहा कि काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू भी राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश दे चुके है कि पुलिस व प्रशासन पत्रकारों के साथ बदसलूकी न करे।
किसी स्थान पर हिंसा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों को उनके काम करने में पुलिस व्यवधान न करे।
पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ न करे नही तो पुलिसवालों व अधिकारियों के विरुद्ध अपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा। काटजू ने यह कहा कि, “जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नही हो जाता है। उसी प्रकार किसी सावर्जनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते हैं पर वे भीड़ का हिस्सा नहीं होते। इसलिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मीडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है।
भारतीय प्रेस काउन्सिल ने देश के केबिनेट सचिव, गृह सचिव, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस सम्बन्ध में निर्देश भेजा है और उसमें स्पष्ट कहा है कि, पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्द्धसैनिक बलों की हिंसा बर्दाश्त नही की जायेगी।
सभी राज्य सरकारें व केंद्र सरकार ये सुनिश्चित करें कि, पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्यवाही कहीं न हो।
पुलिस की पत्रकारों के साथ की गयी हिंसा मीडिया की स्वतन्त्रता के अधिकार का हनन माना जायेगा जो संविधान की धारा 19(1) ए में दी गयी है, संविधान की इस धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी व अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा। राष्ट्रीय प्रवक्ता बंसल ने आजाद पत्रकार मोर्चे व देश-प्रदेश के सभी पत्रकारों की ओर से केंद्र व सभी राज्य सरकारों से मांग की है कि महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्य की तरह केंद्र व सभी राज्यो में पत्रकार सुरक्षा कानून विधेयक पारित होना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *