डीपी वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com
भाजपा प्रवक्ता प्रवीण आत्रेय ने पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भुपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा प्रदेश पर क़र्ज़ को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भुपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश की आर्थिक प्रगति से परेशान हैं। इसीलिए भुपेंद्र सिंह हुड्डा ऋण और देनदारियों को आपस में मिला कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अर्थव्यवस्था में ऋण वह होता है जो सरकार किसी दूसरी सरकार, संस्था या फाइनैंशल इंस्टीट्यूसंस से उधार के रूप में लेती है। परन्तु देनदारियों यानि लाइबिलिटी में वो पैसा भी आता है जिसे सरकार द्वारा कृषि सब्सिडी के रूप में, बिजली सब्सिडी या योजनाओं पर हुए ख़र्च के रूप में भुगतान करना होता है। जब भी देनदारियों की गणना होती है तो सम्पत्ति की भी गणना आवश्यक हो जाती है। इस प्रकार हमें सही आर्थिक सेहत का पता लगता है।
प्रवीण आत्रेय ने कहा कि भुपेंद्र सिंह हुड्डा यदि राजस्व घाटे की बात करते हैं तो यह बताना भी आवश्यक हो जाता है कि हरियाणा प्रदेश का राजस्व घाटा 2014-15 में वर्ष 2013-14 के मुकाबले लगभग ढाई गुणा बढ़ गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री ने इसका ठीकरा तभी के केंद्र सरकार ( मनमोहन सरकार)पर फोड़ते हुए तर्क दिया था कि यदि केंद्र सरकार हमें CST का 7000 करोड़ रुपए दे देती तो ऐसा न होता। कांग्रेस कार्यकाल में 2013-14 में प्रदेश का राजकोषीय घाटा लगभग 3.07% था। जिसे 2021-22 में वर्तमान सरकार 2.07% पर ले आई।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि भुपेंद्र सिंह हुड्डा यह क्यों नहीं बताते कि वर्तमान सरकार के समय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कार्यशैली के कारण प्रदेश की जीएसडीपी लगभग दस लाख करोड़ हो गई है। जो 2014-15 में लगभग पौने चार लाख करोड़ थी।देश की जीडीपी में हरियाणा का हिस्सा 3.86% हो गया है। जो 2014-15 में 3.52 % था। पुर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नहीं भुलना चाहिए कि कांग्रेस के समय में देश मंहगाई, आर्थिक सुस्ती, उच्च ब्याज दरें और रुपए पर डालर के दबाव के कारण हरियाणा में पुंजी निवेश कम हुआ था। प्रदेश पर तुलनात्मक रूप से कर्ज का बोझ बढ़ गया था। सरकार के पास विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं था। इसीलिए पीपीपी मॉडल का सहारा लिया गया था। हरियाणा के तत्कालीन वित्तमंत्री मोहिंदर सिंह चठठा का तर्क था कि क़र्ज़ विकास के लिए लिया जा रहा है। सरकार तय सीमा के भीतर ही खुले बाजार से क़र्ज़ उठा रही है।
प्रवीण आत्रेय ने कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर कहा कि 2013-14 में आधारभूत सुविधाओं का बजट मात्र 3298.09 करोड़ रुपए रखा गया था जो 2014-15 में घटा कर 2942.61 करोड़ रुपए कर दिया था। परन्तु मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पूंजीगत ख़र्च के रूप में 57878 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। जो बजट का 31.5 % है।
प्रवीण आत्रेय ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को सच स्वीकार करना चाहिए। ऋण और देनदारियों को एक साथ जोड़ कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास न करें। हरियाणा की आर्थिक प्रगति को जनता स्वयं देख रही है। आज़ प्रदेश आर्थिक रूप से मजबूत है।
प्रवीण आत्रेय ।