टीवी पर बढ़ती निर्लज्जता, मूढ़ता, अंधविश्वास व डर ने समाज की सार्थक सोच को गायब किया : सुनीता वर्मा। दूषित सांकृतिक प्रदूषण फैला कर समाज को गंदा करने में आज सबसे बड़ा योगदान टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिकों का है। इनसे अंधविश्वास, डर, असुरक्षा और अविश्ववनीयता की भावना बढ़ी है।

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डीपी वर्मा

दक्ष दर्पण समाचार सेवा

dakshdarpan2022@gmail.com

चंडीगढ़

संयुक्त परिवार खत्म होने से एकल परिवारों में मनोरंजन के साधन भी समाप्त हो गए, ऐसे में एकांत के मित्र के रूप में टीवी और मोबाइल विकल्प बन गया, लेकिन इन्होंने समाज में नकारात्मकता का भाव ही बढ़ाया है, जिससे अंधविश्वास, डर, असुरक्षा और अविश्ववनीयता की भावना बढ़ी है।’ उक्त बातें महिला कांग्रेस नेत्री ने अपने क्षेत्र में महिलाओं के साथ की जा रही परिचर्चा के दौरान कही। उन्होंने महिलाओं के साथ किए गए अपने संवाद में कहा कि आज हमें अपने परिवार में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने के माध्यम खुद ढूंढने होंगें, और अपने बच्चों को नफरत, अश्लीलता और पाखंडों से बचाने के लिए उनका सही मार्गदर्शन करते हुए उनके साथ मित्रवत व्यवहार करते हुए अपना ज्यादा से ज्यादा समय उन्हें देना होगा ताकि वो सही दिशा में अपना ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने कैरियर को संवार सकें।
हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेटर वर्मा ने कहा की राजनीति ही सब कुछ नही है, राजनीति से अलग हटकर भी हमारा अपना जीवन होता है। इसीलिए वो आज इन बातों को आपसे सांझा कर रही है, क्योंकि मैं मानती हूं की घर को बनाने और परिवार में संस्कार देने में एक औरत का सबसे बड़ा योगदान होता है। उन्होंने कहा की इन्ही कारणों से हमारी पहली प्राथमिकता घर, परिवार, समाज और हमारे बच्चे होने चाहिए क्योंकि इन सबके संस्कारित होने से ही एक उन्नत तथा समृद्ध राष्ट्र की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है।
महिला कांग्रेस नेत्री ने टीवी के निजी चैनलों द्वारा दिखाए जाने वाले धारावाहिकों और बॉलीवुड फिल्मों को लेकर भी बड़ा बयान देते हुए कहा कि 1990 के दशक और उदारीकरण के युग तक इन्होंने हमारा मनोरंजन किया। उस समय दूरदर्शन पर कार्यक्रमों का अच्छा मिश्रण था, क्योंकि सरकार के स्वामित्व वाले चैनल को राष्ट्र को शिक्षित करने के साथ-साथ मनोरंजन की अपनी जिम्मेदारी भी निभानी थी। किंतु आज निजी चैनलों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा में टीआरपी एक बड़ा खेल हो गया है इसलिए अब फूहड़ता और घृणा परोसी जा रही है। जिससे समाज में सार्थक सोच गुम हो रही है, हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को इन नकारात्मकता बढ़ाने वाले कारकों से बचाना होगा।
वर्मा ने कहा कि आज इंसानों के जेहन से मानवीय सोच गायब हो गई है, नतीजतन आज इंसानियत की जगह खुदगर्जी ने ले ली है। संवेदनहीनता बढ़ रही है। दूसरों की मदद करने वाले हाथ कम पड़ रहे हैं, सेवा में स्वार्थ पहले ढूंढा जा रहा है।
सुनीता वर्मा ने कहा कि दूषित सांकृतिक प्रदूषण फैला कर समाज को गंदा करने में आज सबसे बड़ा योगदान टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिकों का है। जबकि आज की आधुनिकता की दौड़ में तर्कों का महत्व होना चाहिए, क्योंकि तर्क वहीं होगा जहां ज्ञान और शिक्षा होगी। इसलिए हमें समाज और परिवार में ज्ञान तथा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यथासंभव कार्य करने चाहिएं।

क्षत्रिय महिलाओं से परिचर्चा करती सुनीता वर्मा।

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