डीपी वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा
स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि मार्च माह से लगातार बेमौसम की बरसात से बर्बाद फसलों के चलते किसान की आर्थिक कमर टूट चुकी थी, अब रही-सही कसर वीरवार को सांय 5 बजे से तेज आंधी व पूरी रात की बूंदाबांदी ने पूरी करके किसान को बुरी तरह से बर्बाद कर दिया। विद्रोही ने कहा कि उनको याद नही आ रहा कि कभी मार्च माह में अहीरवाल ने लगभग पूरे माह वर्षा, आंधी, ओलो का कहर बरसकर रबी फसल की गेंहू व सरसों को इतना भारी नुकसान पहुंचा हो। पूरे मार्च माह में प्रकृति का कहर बने रहना अभूतपूर्व है जिससे अहीरवाल क्षेत्र का कोई भी किसान कम या ज्यादा बर्बादी से बचा नही। पहले से ही डरा-सहमा किसान ज्यादा पैसा खर्च करके किसी भी तरह खेतों में खडी फसल की कटाई व खेेत में पडी कटी फसल को समेटने में जुटा हुआ था। किसान फसल कटाई के लिए सामान्य खर्चे से दो से तीन गुणा ज्यादा खर्चा करके खेतीहर मजदूरों के सहयोग से फसल कटाई व कटी फसल को समेटने का प्रयास कर रहा था लेकिन गुरूवार-शुक्रवार की वर्षा ने उनकी सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल के किसानों की गेंहू व सरसों की फसले तो बर्बाद हुई है, साथ में फसल कटाई के नाम पर किसान की जेब से भी प्रति एकड़ 5 से 7 हजार रूपये की और चपत लगी है। सरसों की फसले तो लगभग पूरी कटकर खेतों में पडी थी, अब मार्च माह के दूसरे पखवाडे में चार से पांच बार हुई बरसात ने खेतों में कटी पडी सरसों फसल को गलाना-सडाना शुरू कर दिया और सरसों दानों का ज्यादा नमी के चलते काला पडना भी सुनिश्चित हो गया है जिससे ज्यादा नमी की निकल चुकी सरसों एमएसपीे पर सरकारी खरीद गुणवत्ता पर खरा न उतरने से कम भाव में बिकने पर भाव की अलग से मार पडेगी।
विद्रोही ने कहा कि खेतों में पककर खडी गेंहू की फसल आंधी व वर्षा से खेतों में बिछ गई जिससे उस फसल को काटने में तो समस्या आयेगी साथ में फसल खेतों में पसरने से गेंहू के दाने भी खराब होंगे और फसल भी गलेगी। फसल कटाई का खर्च भी बढ़ेगा। इस तरह किसान पर चौतरफा आर्थिक मार पडेगी। मार्च माह में बर्बाद गेंहू व सरसों फसल की बर्बादी पर सरकार गिरदावरी करवाने का दावा तो कर रही है, पर जमीन पर कुछ नही हो रहा। फसल खराबे का पोर्टले कभी खुलता है, कभी बंद हो जाता है वहीं खेतों मेें कटी पडी सरसों जो वर्षा से सड़-गल गई, दाना खराब होकर सिकुड गयो, काला पड़ गया, उसका मुआवजा कौन देगा? यह किसी को पता नही। विद्रोही ने कहा कि मार्च माह में अहीरवाल में बार-बार वर्षा से सरसों, गेंहू फसल के खराबे का आंकलन कैसे होगा, समझ से परे है और किसान को फसल खराबे का मुआवजा का आधार कैसे तय होगा, यह भी समझ से परे है। जिस तरह अहीरवाल में मार्च माह में गेंहू व सरसों फसलों पर प्रकृति की मार पडी है, उसके लिए आवश्यक है कि हरियाणा भाजपा-जजपा सरकार मुआवजा वितरण नियमों में विशेष ढील देकर ऐसी व्यवस्था बनाये जिससे अहीरवाल के हर किसान को उसकी बर्बाद फसल गेंहू वे सरसों का पर्याप्त मुआवजा मिल सके। वहीं एमएसपी की सरकारी खरीद में भी अहीरवाल के किसानों को गुणवत्ता मापदंड में विशेष छूट देकर उसकी फसल एमएसपी पर खरीदी जाये।