धर्मपाल वर्मा
दक्ष दर्पण समाचार सेवा dakshdarpan2022@gmail.com
चंडीगढ़ देश में अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं । हरियाणा में 2024 में ही विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। सारे राजनीतिक दल एक साल पहले ही पॉलिटिकल एक्सरसाइज करने में लग गए हैं ।अभी तक लोग सवाल उठा रहे थे कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले वर्षों में सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाकर दो दो कार्यक्रम किए और विकास रैलियां आयोजित की परंतु सिर पर चुनाव होने के बावजूद 2023 में उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है मतलब वे लोगों के बीच नहीं जा रहे हैं। इसके बावजूद कि देश में भी और प्रदेश में भी नेता पदयात्रा कर अपना जनाधार तलाशने में जुटे हुए हैं परंतु मुख्यमंत्री के एक नए कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल अगले दोनों चुनाव जीतने के लिए इस तरह से लोगों के बीच में जाएंगे कि सरकार का इनकंबेंसी फैक्टर भी हवा हो जाएगा कार्यक्रम अप्रैल महीने के प्रथम सप्ताह का बन भी गया है।।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जनसंवाद के मकसद से जनता के बीच जाकर व्यावहारिक समर्थन प्राप्त करने का एक व्यवहारिक कार्यक्रम इस तरह से बना दिया है कि इंडियन नेशनल लोक दल के नेता अभय सिंह चौटाला और पहली बार और शायद आखरी बार विधायक बने बलराज कुंडू की पद यात्राएं फीकी पड़ जाएंगी।
गांव में पैदा हुए अपने हाथ से खेती करने वाले मनोहर लाल अब प्रतिदिन गांव में ग्रामीणों के बीच रहेंगे उनके साथ चाय पिएंगे उनके बीच में ही खाना खाएंगे रात्रि विश्राम भी लोगों के साथ गांव में ही करेंगे जब कोई जरूरी मीटिंग होगी तभी चंडीगढ़ आएंगे।
मुख्यमंत्री ने यह कार्यक्रम 2 अप्रैल से भिवानी जिले से शुरू करने का ऐलान किया है। पहले दिन वे खरक कला कलिंगा और चांग गांव में जाएंगे रात्रि विश्राम भवानी खेड़ा गांव में होगा।इसी तरह 3 अप्रैल को धनाना बापोड़ा बलाली और दिनोद गांव में जनसंवाद करेंगे रात्रि विश्राम तोशाम में होगा ।इसी तरह 4 अप्रैल के कार्यक्रम बने हैं। फिर 5 अप्रैल को कई गांवों में जनसंवाद के बाद रात्रि को मुख्यमंत्री चंडीगढ़ लौटेंगे।
बाद में यह कार्यक्रम सारे प्रदेश में एक अभियान के रूप में चलाया जाएगा। इसके 2 बड़े फायदे होंने का अनुमान लगाया गया है, एक लगातार दो बार की सरकार के इनकंबेंसी फैक्टर
राजनीतिक हलकों में एक बात प्रमुखता से उठाई जाती है कि जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा चंडीगढ़ में लोगों से मिलते थे वैसा मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल नहीं कर पा रहे हैं। इसे उनकी कमजोरी के रूप में देखा जाता है लोगों के बीच में खुद चलकर जाने से लोगों की समस्याएं सुनने और उनके समाधान हो जाने से फर्क पड़ेगा ।ऐसा भी माना जाता है कि आम आदमी की स्मृति बहुत लंबी नहीं होती वह अमूमन ताजी बातों को ज्यादा याद रखता है। इन्हीं सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम बनाया गया है जो भारतीय जनता पार्टी के काम आ सकता है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जहां आम आदमी के संपर्क में आएंगे उनकी समस्याओं से दो-चार होंगे वही कार्यकर्ताओं से भी मिलेंगे । इससे कार्यकर्ताओं में ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा। मुख्यमंत्री को सभी हलकों में यह फीडबैक भी मिलेंगे कि लोग भाजपा के किस उम्मीदवार को ज्यादा पसंद करते हैं। इससे वे सभी कार्यकर्ता और टिकट के उम्मीदवार एक्टिव हो जाएंगे और वह विरोधियों को काउंटर करने की मुद्रा में नजर आएंगे।
मुख्यमंत्री 2014 के चुनाव में विधानसभा में मिले बहुमत और 2019 में लोकसभा में 10 की 10 सीटें जीतने के इतिहास को दोहराना चाहते हैं। उन्हें प्रधानमंत्री का पूरा आशीर्वाद प्राप्त है। ऐसे में पार्टी अपनी एक और कमजोरी पर ध्यान देकर चल रही है कि 2019 के 75 पार के नारे के बावजूद 10 की 10 लोकसभा की सीट जीतने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को गठबंधन करके सरकार बनानी पड़ी। यह इसलिए हुआ कि विधानसभा की टिकटें गफलत के साथ बांटी गई और ऐसा थोड़ी नहीं बल्कि 16 सीटों पर देखने को मिला। यदि पार्टी इस मसले पर गंभीरता का परिचय देती तो हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी 50 से अधिक सीट जीत सकती थी। भाजपा के नेता कार्यकर्ता और जानकार मानते हैं कि 2019 के चुनाव में टिकटों के बंटवारे के मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया लेकिन इस बार ऐसा नहीं करेंगे।मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम का मकसद लोकसभा में 10 की 10 सीटें जीतना और फिर विधानसभा में हैट्रिक बनाने का है। अब देखना यह है कि इस अभियान और कार्यक्रम का व्यावहारिक लाभ मिलता है या नहीं और मिलता है तो कितना।
कार आपके द्वार की तर्ज पर होगा मुख्यमंत्री का सभी जिलों में जनसवाद।